1965 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के डोगराई शहर पर विजय पताका फहराने के गवाह 3 जाट रेजिमेंट्स के वयोवृद्ध योद्धाओं ने मनाई जीत की 58 वीं वर्ष गांठ
राष्ट्र की एकता अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखना सैनिक का प्रथम कर्तव्य: मेजर जनरल एस एस अहलावत। ,

Ο 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में डोगराई शहर विजय की 58वीं वर्षगांठ धूमधाम से समारोह पूरक मनाने रोहतक से मेरठ पहुंचे 3 जाट बटालियन के सैकड़ों पूर्व सैनिक।
Ο 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान का डोगराई शहर जीत कर 3 जाट बटालियन ने रचा था अविस्मरणीय इतिहास ।
रोहतक, 22 सितंबर 2023 : * पाकिस्तान युद्ध में डोगराई शहर विजय की 58 वीं वर्षगांठ 22 सितंबर वीरवार को मेरठ के संस्कृति रिजार्ट में देश के कोने-कोने से पहुंचे 3 जाट बटालियन के बुजुर्ग पूर्व सैनिकों ने जोश और उल्लास के साथ मनाई। अपने-अपने इलाके के सुन्दर परिधानों में पहुंचे ये वेटरन्स एक दूसरे के साथ गले मिलकर भावुक होकर अपनी भावनाओं को प्रकट कर रहे थे ।इन सब के चेहरों पर खुशी ,जोश और आंखों में प्यार झलक रहा था ।ये सब उस ऐतिहासिक विजय को याद कर रहे थे जिसके लिए इन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी थी।
Ο 3 जाट बटालियन इतिहास
01सितंबर 1823 ई में गठित 3 जाट बटालियन ने अपने 200 वर्षों के लंबे सैनिक इतिहास में अनेकों युद्ध में जीत हासिल कर खूब नाम कमाया है । 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय लेफ्टिनेंट कर्नल डी ई हेड के नेतृत्व में बटालियन के 550 शूरवीरों ने अदम्य साहस और वीरता दिखाते हुए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पाकिस्तान के डोगराई शहर की रक्षा में लगी उसकी 3 बलोच, 8 पंजाब ,8 बलोच और 16 पंजाब बटालियन को बुरी तरीके से हरा कर ,दुश्मन के 509 सैनिकों को यमलोक भेजा तथा उनकी 16 पंजाब के कमान अधिकारी कर्नल गोलवाला सहित 108 सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया। इस गुत्थमगुत्था की भयंकर लड़ाई में अल्फा कंपनी कमांडर मेजर आशाराम त्यागी, डेल्टा कंपनी कमांडर मेजर कपिल सिंह थापा सहित 05 ऑफिसर 01 जेसीओ और 76 जवान देश की आन बान और शान के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे कर अमर हो गए। इस लड़ाई में 3 जाट बटालियन के 182 वीर सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे।
युद्ध उपरांत बटालियन के बहादुर सैनिकों को 03 महावीर चक्र , 04 वीर चक्र , 07 सेना मेडल , 12 मेनशन इन डिस्पैच तथा 11 आर्मी चीफ के प्रशंसा पत्रों से नवाजा गया ।वहीं बटालियन को *डोगराई के युद्ध सम्मान से सम्मानित किया गया था। इस ऐतिहासिक विजय को चिरस्थाई बनाने के लिए बटालियन के सेवारत और सेवानिवृत्ति सैनिक हर वर्ष 22 सितंबर को अपने अमर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर जोश और उमंग के साथ डोगराई विजय दिवस मानते हैं और अपने पूर्व सैनिकों को सम्मानित करते हैं ।
इस अवसर पर समारोह में पधारे सैनिकों को संबोधित करते हुए पूर्व में बटालियन के कमान अधिकारी रहे मेजर जनरल एस एस अहलावत ने उस महान घटना को याद करते हुए कहा कि हमें अपने शूरवीरों को जिन्होंने देश की आन बान शान के लिए प्राण न्योछावर किए, उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए । इस महान दिवस पर मैं अपने बलिदानी वीर सैनिकों को नमन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं जिन्होंने देश की एकता अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया। एक सैनिक का प्रथम कर्तव्य राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखना होता है और इसके लिए हम सैनिक अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं।
समारोह में भाग लेने वाले मेजर जनरल बी आर वर्मा ,कैप्टन लक्ष्मी नारायण, सूबेदार समंदर सिंह रोहतक,कैप्टन बनवारी लाल ,सूबेदार कंवरपाल , कैप्टन जुगती राम , शौर्य चक्र कैप्टन राजवीर सिंह गिरावड़ , नरेश रिटोली , कैप्टन जगबीर मलिक धर्मवीर टिटौली,सूबेदार रामकुमार कारोर, कैप्टन जसबीर सिंह सूबेदार कंवर सिंह हवलदार दमन सिंह सूबेदार ज्ञान सिंह सूबेदार अतर मलिक सूबेदार सत्यवान गांधरा हवलदार सुरेश कुमार हवलदार कलीराम सहित कई वेटरेन्स को पगड़ी बांध और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर 11 आफिसर , 23 जे सीओ और 372 सैनिकों ने प्रमुखता से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ।