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वार्ड से चुनाव जीतकर निर्वाचित होने वाले विजयी उम्मीदवार को सम्बंधित रिटर्निंग ऑफिसर से मिलेगा कांसुलर की बजाए मिलेगा सदस्य का प्रमाण-पत्र

हरियाणा के तीन दर्जन शहरी निकायों के कुल 647 वार्डों से
निर्वाचित होने वाले विजयी  उम्मीदवारों का आधिकारिक पदनाम होगा  सदस्य (मेम्बर) न कि पार्षद (काउंसलर)  
हरियाणा देश का एकमात्र राज्य जहाँ के दोनों  नगर निकाय कानूनों में पार्षद (काउंसलर) ही नहीं – एडवोकेट हेमंत  

 

चंडीगढ़ – बुधवार 12 मार्च को  प्रदेश की  तीन दर्जन  शहरी  निकायों (8 नगर निगमों, 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों) के आम चुनाव और 2 नगर निगमों में महापौर (मेयर) पद के उपचुनाव, 1 नगरपालिका परिषद और 2 नगरपालिका समितियों  के अध्यक्ष (प्रेसिडेंट) पद  उपचुनाव और तीन नगरपालिका समितियों  के 1-1 वार्ड के उपचुनाव के लिए गत 2 और 9 मार्च (पानीपत) को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराये  गए मतदान की मतगणना होगी जिसमें प्रत्यक्ष निर्वाचित न.नि मेयर और न.प. अध्यक्ष के अतिरिक्त

कुल 647 वार्डों से सम्बंधित शहरी निकाय के वार्ड सदस्य निर्वाचित होंगे.   

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून के जानकार  हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बताया  कि

मतगणना सम्पन्न होने के बाद हर नगर निगम / नगरपालिका परिषद और नगरपालिका समिति के अंतर्गत पड़ने वाले प्रत्येक

वार्ड से चुनाव जीतकर निर्वाचित होने वाले विजयी उम्मीदवार को सम्बंधित रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) से   जो निर्वाचन प्रमाण-पत्र (इलेक्शन सर्टिफिकेट) प्राप्त होगा, उस पर उसे सम्बंधित वार्ड का पार्षद (काउंसलर) नहीं बल्कि सदस्य (मेम्बर) शब्द का प्रयोग किया जाएगा. मतगणना के बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उक्त सभी शहरी निकायों के 647 वार्डो से जीतने वाले सभी उम्मीदवारों के निर्वाचन से सम्बंधित  नोटिफिकेशन में भी वार्डों से निर्वाचित प्रतिनिधियों  के लिए पार्षद (काउंसलर) नहीं  अपितु  सदस्य (मेम्बर) शब्द का प्रयोग किया जाएगा जोकि कानूनन बिलकुल सही है.

हेमंत ने आगे बताया कि हालांकि   यह अत्यंत हैरानी की बात है कि न केवल  चुनाव जीते  उम्मीदवारों एवं   उनके समर्थकों आदि द्वारा बल्कि यहाँ तक कि प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक/डिजिटल  मीडिया  द्वारा उन्हें  निर्वाचित वार्ड पार्षद (काउंसलर ) शब्द के तौर पर ही सम्बोधित किया  जाता है जिससे निकाय क्षेत्र के मतदाताओं और स्थानीय  निवासियों में  यही आम धारणा बन गयी है कि उनके सम्बंधित वार्ड क्षेत्र से चुनाव जीतने वाला उम्मीदवार  सम्बंधित नगर निकाय का  पार्षद (काउंसलर) ही है  जो कि हालांकि कानूनन गलत है क्योंकि हरियाणा म्युनिसिपल (नगरपालिका ) कानून, 1973 , जो प्रदेश की सभी नगरपालिका समितियों और नगरपालिका परिषदों  पर लागू होता है एवं उसके अंतर्गत बनाये गए  हरियाणा नगरपालिका  निर्वाचन नियमो, 1978  और इसी प्रकार हरियाणा  नगर निगम कानून, 1994, जो प्रदेश की सभी नगर निगमों पर लागू होता है एवं उसके अंतगत बनाये गए हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमो, 1994

जिसके आधार पर  हरियाणा  निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश के सभी   नगर निकायौं में चुनाव करवाए जाते हैं, दोनों में  कहीं  भी पार्षद (काउंसलर )  शब्द  नहीं है. इसकी बजाए उपरोक्त 1973 नगरपालिका   कानून की धारा 2 (14 ए) और 1994  नगर निगम कानून की धारा 2 (24)  में वार्डो से निर्वाचित होने वालों के लिए  सदस्य (मेंबर) शब्द का उल्लेख किया गया है.

इसी कारण 12 मार्च मतगणना और उसके कुछ दिनों  बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सभी निर्वाचित उम्मीदवारों के सम्बन्ध में जारी निर्वाचन नोटिफिकेशन के 30 दिनों अर्थात   एक माह के भीतर  नगर निगमों के सम्बन्ध में सम्बंधित मंडल आयुक्त और नगरपालिका समितियों और परिषदों  के  सम्बन्ध में सम्बंधित ज़िले  के उपायुक्त (डीसी) द्वारा या उसके द्वारा अधिकृत किसी गज़ेटेड अधिकारी द्वारा नगर निकाय के प्रत्यक्ष  निर्वाचित अध्यक्ष और वार्डो से निर्वाचित   प्रतिनिधियों को   पद और  निष्ठा की शपथ भी सम्बंधित नगर निगम/ नगरपालिका परिषद/नगरपालिका समिति के  सदस्य के तौर पर ही दिलाई जाएगी  न कि सम्बंधित नगर निकाय पार्षद (काउंसलर) के तौर पर.

हेमंत ने बताया कि बेशक देश के सभी   राज्यों जैसे  पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़   आदि में स्थापित नगर निकायों  के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पार्षद(काउंसलर)   शब्द का प्रयोग किया जाता है, परन्तु  वहां ऐसा करना   कानूनन वैध है क्योंकि उन  सभी प्रदेशो के सम्बंधित म्युनिसिपल कानूनों   में  पार्षद शब्द का उल्लेख किया गया है  परन्तु  हरियाणा के दोनों नगर निकाय कानूनों में  ऐसा  नहीं  है. यहाँ तक कि   भारत के संविधान में म्युनिसिपेलिटीस  से सम्बंधित अनुच्छेद 243 के  खंडो में भी कहीं पार्षद  (काउंसलर)  शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है.

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