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2023 में चार विधान सभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे कौन होगा 2024 का सिकंदर ?

मोदी के नेतृत्व में बीजेपी एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में हार जाती है तो इससे प्रधानमंत्री की लोकप्रियता पर सीधा असर पड़ेगा l जैसा कि कर्नाटक चुनाव के बाद देखा गया l इस पर पार्टी की रणनीति क्या रहेगी कहा नहीं जा सकता ! बीजेपी उनकी इस छवि को लोकसभा 2024 के चुनाव तक कायम रखना चाहती है, लेकिन राजनैतिक पंडितों का कहना है कि मोदी जी की सभी कुछ खुद तय करने की रणनीति इस में बाधा बन रही है !

हिमाचल और कर्नाटक में शिकस्त खाने के बाद भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2023 के अंत में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित है। करीब एक साल के अंदर बीजेपी को 2 महत्वपूर्ण राज्यों जहाँ बीजेपी को (सत्ता रूढ़ होते हुए) विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन पार्टी आने वाले चुनाव में किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है क्योंकि बीजेपी के शीर्ष नेताओं को लगता है कि चार राज्यों के विधान सभा चुनाव वर्ष – 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा तय करेंगे ।

मध्यप्रदेश : रेवड़ियों के दम बच पायेगा शिवराज सिंह चौहान का सिंहासन
बीजेपी की बड़ी चिंता मध्यप्रदेश को लेकर है जहाँ के राजनैतिक हालात कर्नाटक जैसे ही हैं l कर्नाटक जैसे ही से यहाँ मतलब है कि कर्नाटक में बीजेपी ने कांग्रेस के विधायकों की दलबदल करवा कर सरकार बनाई थी वहीँ मध्यप्रदेश में भी बीजेपी ने हरी हुई बाज़ी को पलटने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बड़े दलबदल को अंजाम देकर शिवराज सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई थी l बीजेपी की चिंता ये है कि जिस तरह कर्नाटक की जनता ने तोड़फोड़ और दलबदल की सभी आशंकाओं को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया l यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मंचों से ‘मुफ्त की रेवड़ी’ बांटने वाली राज्य सरकारों की आलोचना कर चुके है वहीँ मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में वोटों को रिझाने के लिए सरकार रेवड़ियों की बरसात में जुटी है l

चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को 1 हजार रूपए प्रतिमाह देने की घोषणा की है। इन रेवड़ियों में मध्यप्रदेश में पीएम किसान कल्याण योजना और सीएम किसान कल्याण योजना के तहत किसानों को साल में 10 हजार रुपए सालाना दिए जा रहे है। मुख्यमंत्री भू-आवासीय अधिकार योजना में मुफ्त प्लाट, गरीबों को मुफ्त राशन को सरकार के तोहफे के रूप में गिनवाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि बीजेपी ही इस अभियान में लगी है, विपक्षी दल कांग्रेस सत्ता में आने पर जमकर मुफ्त की रेवड़ी बाँटने का वादा कर रही है।

मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसमें कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही आमने-सामने होगी। कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनावी बिगुल बजा चुकी है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी 12 जून को जबलपुर में एक बड़ी जनसभा कर इस की शुरुवात कर चुकी हैं । प्रियंका गांधी की यह जनसभा भीड़ की दृष्टि से काफी सफल मानी जा रही है। इस जनसभा में प्रियंका गाँधी ने शिवराज सरकार पर भृष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए वहीं कांग्रेस की और से सरकार बनने पर कांग्रेस की “गारंटी” का आश्वासन भी दिया l

प्रियंका गांधी से पहले पीएम नरेंद्र मोदी भोपाल का दौरा कर चुके हैं। हाल ही में पीएम मोदी ने प्रदेश को वंदे भारत ट्रेन की सौगात दी थी। पीएम के इस दौरे ने प्रदेश की सियासत को गरमाने का काम किया था। विधानसभा चुनाव को देख भाजपा भी कमर कसती हुई दिखाई दे रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में कांग्रेस साल 2018 से ज्यादा मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है। कांग्रेस मौजूदा शिवराज सरकार पर हमलावर है, कांग्रेस के ये तेवर बीजेपी पर भारी पड़ते दिख रहे हैं । बीजेपी हाईकमान शिवराज सिंह चौहान के 18 साल के कार्यकाल का आंकलन करने में जुटा है, स्थानीय नेताओं से बीजेपी यह पता लगाने में लगी हुई है कि मौजूदा शिवराज सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर कितना गहरा है, अगर है तो कैसे कम किया जाए ताकि पार्टी को विधानसभा चुनाव में कम खामियाजा भुगतना पड़े।

 

 

विस चुनाव को देखते हुए BJP के शीर्ष नेता बैठक पर बैठक कर रहे हैं ताकि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के चुनाव में बेहतर से बेहतर प्रदर्शन किया जा सके। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में पीएम मोदी ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए तमाम बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी। जिसमें इन चार राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी का सबसे बड़ा फोकस मध्यप्रदेश पर होने वाला है क्योंकि यहां बीजेपी सत्ता में है। अगर भाजपा यहाँ सत्ता में नहीं आई तो भगवा पार्टी के लिए ‘नाक’ का सवाल हो जाएगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर मोदी के नेतृत्व में बीजेपी एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में हार जाती है तो इससे प्रधानमंत्री की लोकप्रियता पर सीधा असर पड़ेगा। साथ ही विपक्ष भी इसे मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा, जो बीजेपी विपक्ष को मौका नहीं देना चाहती है।

 

राजस्थान: गहलोत-पायलट विवाद के दम पार हो सकेगी बीजेपी की नैया
राजस्थान में बीजेपी बीजेपी गहलोत-पायलट विवाद से अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई पड़ रही है। बीजेपी के तमाम नेता यह दावा कर रहे हैं कि आने वाले चुनाव में गहलोत सरकार का जाना तय है। बता दें कि, राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार है। साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान गहलोत ने प्रदेश के हर वर्ग को साधने की कोशिश की है। कई सुविधाएं और राहत जनता को दी हैं l जिस से गहलोत की लोकप्रियता में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है l राहुल गाँधी की “नफरत की बाजार में महोब्बत की दुकान” भी इस चुनाव में अपना रंग दिखाएगी ऐसा राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है l विश्लेषकों का कहना है कि, कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ नेताओं के झगड़े का फायदा बीजेपी को ही मिलना है, लेकिन केवल मात्र गहलोत-पायलट विवाद से बीजेपी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हो सकती। राजनैतिक पंडितों का मानना है कि बीजेपी को अगर राजस्थान का किला फतह करना है तो कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। जिस के लिए बीजेपी नेअपनी तैयारी शुरू कर भी दी है। बीते महीने के 28 तारीख को अजमेर में पीएम मोदी जननसभा को इसी कड़ी में देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने मौजूदा सीएम अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा था।

छत्तीसगढ़: भूपेश बघेल की काट नहीं मिल रही बीजेपी को
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है लेकिन बीजेपी इसे जीतने की पूरी कोशिश में लगी हुई है। हालांकि, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार को हटना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान सीएम बघेल ने प्रदेश का कायाकल्प करने का काम किया है। सूत्रों की मानें तो, बीजेपी को बघेल सरकार के खिलाफ वैसा कोई ठोस मुद्दा नहीं मिल रहा जिससे वो आगामी चुनाव में उन्हें घेर सके। फिर भी बीजेपी के नेता भूपेश बघेल को घेरते रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कमल खिलाने के लिए बीजेपी की ओर से मास्टरप्लान बनाया जा रहा है ताकि कांग्रेस को सत्ता में आने से रोका जा सके।

तेलंगाना: तेलंगाना में बीआरएस के पुन: सत्ता में वापसी के संकेत
तेलंगाना में बीजेपी-कांग्रेस किसी भी पार्टी की स्थिति कुछ खास नहीं है। लेकिन कांग्रेस की फिलहाल बीजेपी से ठीक बताई जा रही है। वहीं इस प्रदेश की बागडोर बीआरएस प्रमुख के. चन्द्रशेखर के हाथ में हैं। दक्षिण राज्य की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि, ऐसा हो सकता है कि एक बार फिर के. चन्द्रशेखर ही सत्ता पर काबिज हो क्योंकि इनके कंपैरिजन में देखें तो ना ही कोई क्षेत्रीय पार्टी मजबूत स्थिति में दिख रही है, जो कड़ी टक्कर दे सके। भाजपा-कांग्रेस अभी इतनी मजबूत नहीं हो पाई हैं कि वो अचानक केसीआर को सत्ता से उखाड़ फेंक सके।

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