सुप्रीम कोर्ट ने लिया हलवासिया विद्या विहार स्कूल पर कड़ा संज्ञान
-सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट की नव निर्वाचित प्रबंधक समिति को दिया चार्ज सौंपने के नोटिस जारी का आदेश
-सुप्रीम कोर्ट ने फर्म एंड सोसायटी के स्टेट रजिस्ट्रार व अन्य को नोटिस जारी
भिवानी। भिवानी के रोहतक गेट स्थित हलवासिया विद्या विहार स्कूल बहुचर्चित प्रकरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान लेते हुए ट्रस्ट की नव निर्वाचित प्रबंधक समिति को चार्ज सौंपने के नोटिस जारी का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फर्म एंड सोसायटी के स्टेट रजिस्ट्रार व अन्य को नोटिस जारी किया है।
हलवासिया विद्या विहार के संस्थापक जन कल्याण ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय ने पाया कि हाई कोर्ट में दीवान चंद रहेजा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं व हाई कोर्ट द्वारा अपनी देख रेख में प्रबंधक समिति का चुनाव करवाया जा चुका है, जिसे चार्ज दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट द्वारा सात अगस्त 2023 को पारित आदेश में साफ कहा गया है कि दीवान चंद रहेजा द्वारा गम्भीर वित्तीय अनियमितताएं पायी गयी हैं जिसके चलते उसके सीएजी(महालेखा परीक्षक) द्वारा उनके कार्यालय की 2013 से अब तक के खातों की जांच करवाना आवश्यक है। उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा कि दीवान चंद पर शिक्षकों से वेतन में हिस्सा लेने, विद्यालय की रिटर्नस फाइल न करने, अनचाहे खर्चे करने, शिक्षा का स्तर गिराने जैसे गम्भीर आरोप हैं, जिनकी जांच आवश्यक है। सीएजी द्वारा एक महीने में जांच समाप्त करने का आदेश पारित किया गया था, किंतु सीएजी द्वारा अधिक समय लिए जाने की सम्भावना व दीवान चंद द्वारा रिकार्ड को खुर्द बुर्द किए जाने की सम्भावना को देखते हुए जन कल्याण ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगायी थी जिस पर सुनवायी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दीवान चंद को हटाकर ट्रस्ट की नव निर्वाचित प्रबंधक समिति को चार्ज दिए जाने के नोटिस का आदेश दिया है।
सरकार के हल्फनामे के अनुसार ये था मामला
हाई कोर्ट के 7 अगस्त 2023 के आदेश की पृष्ठ संख्या 3 पर स्पष्ट रूप से दिया गया है कि हरियाणा सरकार द्वारा 20.2.2023 को दाखिल हल्फनामे के पैरा 7 से 9 में हरियाणा सरकार द्वारा कहा गया है कि दीवान चंद रहेजा द्वारा निम्नलिखित अनियमितताएं की गयी हैं जिनमें मुकदमे को लम्बित रखने की मंशा से शिकायतकर्ता पवन अंचल को आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से स्कूल के अध्यापकों के वेतन से नियमित रूप से हिस्सा लेना, अपने चहेतों को स्कूल में बिना प्रक्रिया के भर्ती करना, जो अध्यापक अनैतिक गतिविधियों के विरुद्ध आवाज उठाए उसे प्रताडि़त करना, स्कूल के शैक्षणिक स्तर को नीचे गिराना, इसके साथ साथ वित्तीय अनियमितताओं में विद्यालय की रिटर्न फाइल न करने से लेकर लेखा जोखा न रखने व विद्यालय के रिकार्ड को खुर्द-बुर्द करने जैसे गम्भीर आरोप हैं।
इसी तरह इस हलफनामे में रजिस्ट्रार जनरल ने दीवान चंद के खिलाफ गम्भीर अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच करवाने व तुरंत प्रभाव से उसे बदलने का अनुरोध किया गया था। इसी के चलते उच्च न्यायालय द्वारा ष्ट्रत्र द्वारा एक महीने में जांच समाप्त करने का आदेश पारित किया गया था, किंतु सीएजी द्वारा अधिक समय लिए जाने की सम्भावना व दीवान चंद द्वारा रिकार्ड को खुर्द-बुर्द किए जाने की सम्भावना को देखते हुए जन कल्याण ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगायी थी जिस पर सुनवायी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दीवान चंद को हटाकर ट्रस्ट की नव-निर्वाचित प्रबंधक समिति को चार्ज दिया जाए।