घोसी में सपा की जीत ? योगी जी का घटता जादू या INDIA गठबंधन का बढ़ता प्रभाव !
इंडिया गठबंधन बनने के बाद हुए इस पहले चुनाव को इंडिया बनाम एनडीए के पहले टेस्ट के रूप में तो देखा ही जा रहा है, साथ में दलित वोटर के रुख को मापने का पैमाना भी कुछ हद तक देखा जा रहा है l शुक्रवार 8 अगस्त को छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव के वोटों की गिनती में बीजेपी ने 3 सीट जीती वहीँ कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी व झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने 1-1 पर जीत दर्ज की l विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन बनने के बाद 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर पहला उप चुनाव था जिसके नतीजे में NDA (बीजेपी ) को 3 सीट मिली वहीँ 28 दलों को मिलकर बने INDIA गठबंधन को 4 सीटों पर जीत नसीब हुई l सीटों की गिनती के लिहाज से बीजेपी कोई ज्यादा पीछे नहीं रही लेकिन उत्तर प्रदेश की “घोसी” विधानसभा में बीजेपी की करारी हार का राजनैतिक महत्व और सन्देश काफी बड़ा है l
बीजेपी चाहे तो यह कह कर संतोष कर सकती है कि यह सीट पहले भी समाजवादी पार्टी के पास ही थी l कायदे से देखें तो समाजवादी पार्टी ने अपनी सीट बरकरार रखी है l इसमें सपा के लिए भी इतराने जैसी कोई बात नहीं है l लेकिन इस सीट पर बीजेपी का जो उम्मीदवार था वह दारा सिंह चौहान 2022 में इस सीट से सपा के टिकट पर जीता था। उन्होंने विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद हुए उप-चुनाव में भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। यहीं पर पेंच फंसा है कि जिस “योगी जी और मोदी जी ” के परचम पर भरोसा कर दारा सिंह चौहान ने विधायकी छोड़ बीजेपी का दामन थामा था, वह दमदार साबित नहीं हुआ ! इसे योगी जी का घटता जादू कहें या 28 दलों को मिला कर बने INDIA गठबंधन का बढ़ता प्रभाव !
बतादें कि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह को 124427 वोट मिले को की बीजेपी के दारा सिंह के मुकाबले 42759 अधिक हैं l बीजेपी के दारा सिंह चौहान को कुल 81668 वोट पड़े l सपा 2022 में इस सीट से 22,216 वोट से जीती थी। इस तरह समाजवादी पार्टी ने यहां अपनी जीत का अंतर भी बढ़ाया। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि सपा को अपने कोर वोटर के साथ ही दलित वोटरों ने भी अच्छी संख्या में वोट दिया। इस से साफ होता है कि बसपा के वोटर अब कु. मायावती को ढलता सूरज मान कर अपने लिए नए विकल्प तलाशने में जुट गया है ।
दलित वोटर से वोट न देने या नोटा दबाने की मायावती की अपील का नहीं हुआ असर
एक और अहम बात इस चुनाव की ये रही कि इस उप-चुनाव में बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। 2022 के चुनाव में बसपा उम्मीदवार को 54,248 वोट मिले थे। इस चुनाव में बसपा की ओर से अपने मतदाताओं से अपील की गई थी कि वो किसी पार्टी को वोट नहीं दी। बसपा मतदाता अगर पोलिंग बूथ पर आते हैं तो नोटा का बटन दबाएं, या फिर घर से वोट डालने ही नहीं निकलें। बसपा की इस अपील का घोसी के मतदाताओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। नोटा पर महज एक हजार सात सौ के करीब वोट मिला। जो 2022 में नोटा पर पड़े वोट के मुकाबले केवल 476 वोट ज्यादा थे l कुल मिलाकर बसपा की अपील का मतदाताओं पर ज्यादा असर नहीं हुआ। बता दें कि 2022 के चुनाव में घोसी सीट पर बसपा उम्मीदवार को 54 हजार से ज्याद वोट मिले थे। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि सपा को अपने कोर वोटर के साथ ही दलित वोटरों ने भी अच्छी संख्या में वोट दिया। इस से साफ होता है कि बसपा के वोटर अब कु. मायावती को ढलता सूरज मान कर अपने लिए नए विकल्प तलाशने में जुट गया है । |