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व्हाइट हाउस में अमेरिकन पत्रकार ने जिस जवाब की अपेक्षा की थी प्रधानमंत्री मोदी ने उसका जवाब नहीं दिया: – विजय ग्रेवाल

अनेकों वीडियो ने बताया कि प्रधानमंत्री को ऐसे प्रश्न की जवाब देने की आदत नहीं और उनकी फोटो में भी साफ स्पष्ट हो रहा था।
चेहरे की रंगत बदल गई थी ।कुछ क्षणों के लिए चेहरे की रंगत उड़ गई थी।
भारत में तो कोई उनसे सवाल पूछ नहीं सकता। अमरीका में सवालों को लेना उनकी मजबूरी थी। बाइडन ने फिर बदला ले ही लिया और उस एक सवाल ने विश्व भर में जो भारत में चल रहा है उसकी पोल पट्टी खोल दी ।

भारतीय जनता पार्टी वाले नहीं मानेंगे ,वह तो ढोल पीट के ही रहेगे। पर गोदी मीडिया को छोड़कर एक भी सोशल मीडिया गोदी मीडिया की तरह भारत का नहीं दिखा रहा है। सब ने इस बात को नोट किया कि अमरीकन पत्रकार के सवाल से मोदी के चेहरे की रंगत बदल गई। जवाब तो देना ही था। उन्होंने 2 मिनट का भारत के लोकतंत्र पर भाषण दे दिया जिसमें जो प्रश्न उठाए गए थे उसका एक का भी जवाब नहीं था ।

सिर्फ हमेशा की तरह जनरल स्टेटमेंट ही थे। वह भी कोट किए गए हैं।

नीचे देखें ।

एक घटना ने प्रधानमंत्री मोदी ,भारतीय जनता पार्टी की सरकार और गोदी मीडिया के सारे कर्मों को दुनिया के सामने खोल दिया है । दुनिया में थू थू है ।
जब अमेरिका के अंदर ही 70 चुने हुए सांसदों ने मोदी जी का बहिष्कार कर दिया। उनके विरुद्ध चिट्ठी लिख दी। बाकी क्या रह गया है।भारत में चाहे जितना भी अपने चाटुकार मीडिया से बैंड बजवा लिया जाए।

अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री मोदी की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने भारत में लोकतंत्र, मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सवाल किया।

अमेरिकी मीडिया के सवाल पर पीएम मोदी का जवाब।

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। अपनी यात्रा के दूसरे दिन वह व्हाइट हाउस पहुंचे, जहां उनका स्वागत किया गया। उनकी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की द्विपक्षीय बातचीत हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
इस दौरान अमेरिकी मीडिया ने भारत में लोकतंत्र, मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सवाल किया।

विदेशी पत्रकार ने पूछा ये सवाल।

महिला पत्रकार ने पूछा, ‘लोग कहते हैं भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। बहुत सारे मानवाधिकार संगठन हैं जो कहते हैं कि आपकी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करती है और अपने आलोचकों को चुप कराती है। जैसा कि आप इस समय यहां व्हाइट हाउस में खड़े हैं, यहां कई विश्व नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। आप और आपकी सरकार मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और वाक्य स्वातंत्र्य (फ्री स्पीच) को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाना चाहेगी ?’

पीएम नरेंद्र मोदी ने दिया ये जवाब।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मुझे आश्चर्य हो रहा है कि आप कह रहे हैं कि लोग कहते हैं..लोग कहते ही नहीं, बल्कि भारत लोकतंत्र है। जैसा राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र हमारी आत्मा है.. लोकतंत्र हमारे रगों में है, लोकतंत्र को हम जीते हैं और हमारे पूर्वजों ने उसको संविधान के रूप में शब्दों में ढाला है। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूलभूत मूल्यों पर बने हुए संविधान के आधार पर चलती है।’

‘मानवाधिकार नहीं तो लोकतंत्र नहीं’
‘हमने सिद्ध किया है लोकतंत्र उद्धार कर सकता है। जब मैं उद्धार की बात करता हूं तो तब जाति, पंथ, धर्म, लिंग..किसी भी भेदभाव को वहां जगह नहीं होती। जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं, तब अगर मानव मूल्य नहीं हैं, मानवता नहीं है, मानवाधिकार नहीं है तो वह लोकतंत्र है ही नहीं। जब आप लोकतंत्र की बात कहते हैं तो उसको स्वीकार करते हैं, उसको लेकर जीते हैं। फिर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता है। इसलिए भारत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के मूलभूत सिद्धातों को साथ लेकर चलता है।’

भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में भेदभाव नहीं:

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘भारत में सरकार के जो लाभ हैं, सभी के लिए उपलब्ध हैं.. जो भी उसके हकदार हैं..सबको मिलते हैं। इसलिए, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में धर्म, जाति, उम्र और भू-भाग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।’

– विजय ग्रेवाल

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