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पंचकूला की बागडोर महिला शक्ति के हाथ, प्रशासन से सुरक्षा तक हर मोर्चे पर नेतृत्व

जंगशेर राणा चंडीगढ़
हरियाणा की राजधानी से सटे पंचकूला शहर में महिलाओं ने प्रशासनिक व्यवस्था की कमान बखूबी संभाल रखी है। वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन इस तरह कर रही हैं कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वे आधुनिक युग की मां दुर्गा हैं। जिस प्रकार मां दुर्गा के कई हाथ होते हैं, वैसे ही ये महिलाएं भी एक साथ कई जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम हैं।

2014 बैच की आईएएस अधिकारी मोनिका गुप्ता इसका सशक्त उदाहरण हैं। उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली से स्नातक और दिल्ली इकोनॉमिक्स स्टडी सेंटर से परास्नातक किया है। वर्तमान में पंचकूला की उपायुक्त के पद पर कार्यरत हैं और प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती से संभाल रही हैं।

मानेसर स्थित नखरौला गांव की निशा यादव ने संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा 2019 में 503वां स्थान प्राप्त कर अपने गांव से पहली अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया। कुरुक्षेत्र में नगराधीश पद पर कार्य करते हुए उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और सफलता पाई। वर्तमान में वे पंचकूला की अतिरिक्त उपायुक्त के रूप में कार्यरत हैं और अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभा रही हैं।

2019 बैच की आईपीएस अधिकारी हिमाद्री कौशिक भी इसी श्रृंखला में आती हैं। उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली हिमाद्री ने केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। यमुनानगर और करनाल में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवाएं दे चुकी हिमाद्री की पहली नियुक्ति पुलिस उपायुक्त के रूप में हुई और वे वर्तमान में पंचकूला में अपनी सेवाएं दे रही हैं।

2018 बैच की आईएएस अधिकारी अपराजिता भी पंचकूला के प्रशासनिक ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वे वर्तमान में पंचकूला नगर निगम की आयुक्त हैं। बनारस में पली-बढ़ीं अपराजिता ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता एक रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी और मां प्रोफेसर हैं।

इसके अलावा, सविता अग्रवाल भी पंचकूला में प्रशासनिक सेवा का अभिन्न हिस्सा हैं। 2019 में उन्होंने पंचकूला में रेड क्रॉस की सचिव के रूप में कार्यभार संभाला था। 2006 में चंडीगढ़ में संयुक्त सचिव के रूप में भर्ती हुई सविता अग्रवाल ने सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
ये सभी महिलाएं यह साबित कर रही हैं कि वे मां दुर्गा की तरह हर भूमिका को निभाने में सक्षम हैं। परिवार, समाज और प्रशासन—हर क्षेत्र में वे अपनी योग्यता का लोहा मनवा रही हैं। आधुनिक युग की ये दुर्गाएं प्रेरणा का स्रोत हैं और यह दर्शाती हैं कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।