बाढ़ पर विधान सभा में विपक्ष ने सरकार को घेरा, डिप्टी सीएम बोले-यह प्राकृतिक आपदा थी
CHANDIGARH. हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान जुलाई में आई बाढ़ की रोकथाम के कुप्रबंधन पर विपक्ष के 16 विधायकों ने सरकार को घेरा। विधायकों ने आरोप लगाया कि मानसून से पहले ड्रेनों व नालों की सफाई व नदियों के तटबंध मजूबत करने के लिए सरकार ने 1100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे लेकिन इस राशि का सही इस्तेमाल नहीं हुआ। ये पैसा किसकी जेब में गया, इसकी जांच होनी चाहिए। उप मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रबंधन पर खर्च की गई राशि का ब्योरा देते हुए कहा कि यह प्राकृतिक आपदा थी।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पहली बार यमुना नदी साढ़े पांच किलोमीटर चौड़ाई में बही है। पहाड़ों में अत्यधिक बारिश होने से यमुना में तीन लाख क्यूसेक पानी एक साथ आ गया। आठ से दस जुलाई के बीच भारी वर्षा हुई। यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, पंचकूला और अंबाला में क्रमशः 842%, 814%, 699% और 514% अधिक वर्षा हुई। प्रदेश सरकार ने तत्काल राहत देते हुए लोगों को राहत पहुंचाई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार सरकार ने 12 जिलों के 1469 गांवों और चार नगर निकाय क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित घोषित किया।
इससे पहले ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान विपक्ष ने सरकार से तीखे सवाल पूछे। एलनाबाद से विधायक अभय चौटाला ने पूछा कि बाढ़ की रोकथाम के प्रबंधन के लिए इस साल स्वीकृत 1100 करोड़ रुपये कहां-कहां खर्च हुए? वहीं किरण चौधरी ने बाढ़ राहत पर हर साल खर्च होने वाले करोड़ों रुपये की जांच की मांग रखी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूछा कि सरकार ने बाढ़ राहत के लिए जमीनी स्तर पर क्या कार्य किए। इस पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 11 सौ करोड़ में 500 करोड़ के विकास कार्य स्वीकृत हुए थे। इनमें से जो अल्प अवधि के कार्य थे, वह पूरे कर लिए गए हैं।