राजनीति
बेटियों और पर्यावरण को समर्पित एक बेटी एक पेड़ मिशन 2023 का आगाज
- : शास्त्रों के अनुसार बेटी का जन्म पुण्यवान व्यक्ति के घर पर होता है : अशोक भारद्वाज
- : 2014 में सांसद चौधरी धर्मवीर ने दी थी मिशन को हरी झंडी
- : कोविड के बाद अब फिर से मिशन का शुभारंभ
भिवानी । राष्ट्रीय बेटी दिवस पर सामाजिक संस्था नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवा जागृत सेवा समिति के द्वारा बेटियों के सम्मान में पहल की गई है कि जिस घर में बेटियों ने जन्म लिया है ,उस घर में बेटियों को सम्मान मिले और बेटियों को माता-पिता बोझ न समझे बल्कि उसे अपने घर का सम्मान और लक्ष्मी का रूप समझे। संस्था द्वारा एक बेटी एक पेड़ मिशन 2023 का आगाज किया गया है।संस्था के अध्यक्ष एवं राष्ट्रपति पुरस्कार अवॉर्डी अशोक कुमार भारद्वाज ने कहा कि एक बेटी एक पेड़ मिशन का शुभारंभ 2013,14 में उनकी संस्था के बैनर के साथ भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सांसद चौधरी धर्मवीर सिंह ने किया गया था,जिसके तहत बेटी और पेड़ बचाने का संदेश दिया जाता ताकि लोग बेटी और पेड़ पौधों के महत्व को समझें और समाज के ताने बाने व पर्यावरण से जुड़ें।कहा कि 2013 से लगातार उनके मिशन जारी हैं। भारद्वाज ने कहा कि आज उन्होंने अपनी दोनों बेटी नव्या और आरोही के साथ पौधा हाथ में लेकर सल्फी अभियान शुरू किया है,जिसका उद्देश्य बेटी और पेड़ बचाना है।
कहा कि माता पिता के लिए बेटियां बोझ नहीं होनी चाहिए,बेटियां अपना भाग्य साथ लेकर आती है ,इसलिए एक बेटी एक पेड़ मिशन 2023 से कार्यक्रम से जुड़ कर हर माता-पिता अपनी बेटियों के साथ सेल्फी फोटो लें और हर बेटी अपने माता-पिता और एक पौधे के साथ सेल्फी फोटो खींचकर हमारे व्हाट्सएप 9354254709 पर भेजें, साथ में एक सुंदर सा बेटी व पर्यावरण से जुड़ा श्लोगन भेजें।जिसका श्लोगन और फोटो गैटअप अच्छा और प्रेरणादायक होगा उस माता पिता बेटी को प्रशंसा पत्र व नगद पुरस्कार और एक पौधा भेंट किया जाएगा ।
राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता अशोक कुमार भारद्वाज ने कहा कि जिसके बिना आने वाले कल का सपना देखना व्यर्थ है। दो कुल को रोशन करने वाली बेटियों के बारे में जितना बखान या गुणगान किया जाए कम है। यही कारण है कि, भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में बेटी दिवस मनाया जाता है। हर साल सितंबर माह के चौथे रविवार को बेटी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल बेटी दिवस 24 सितंबर 2023 का दिन समर्पित है।बेटी दिवस को मनाए जाने का कारण है बेटियों के हक के लिए आवाज उठाना और उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जागरुक करना। इस दिन को मनाए जाने की शुरुआत 2007 में हुई थी। इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।
हिंदू परिवार में जब किसी कन्या का जन्म होता है तो अक्सर यह कहा जाता है कि, साक्षात लक्ष्मी जी आई हैं, इसका कारण यह है कि बेटी को घर के लिए लक्ष्मी माना गया है। शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि, बेटी का जन्म पुण्यवान व्यक्ति के घर पर ही होता है।