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देश-दुनिया

शहीदी दिवस पर भिवानी के मुख्य गुरुद्वारा श्री सिंह सभा घन्टा घर श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ व शब्द कीर्तन  का आयोजन किया

भिवानी l रक्षा के लिए बलिदान देने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और फ़तेह सिंह  व माता गुजरी जी की वीरता, समर्पण को याद करते हुए शहीदी दिवस पर भिवानी के मुख्य गुरुद्वारा श्री सिंह सभा घन्टा घर श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ व शब्द कीर्तन  का आयोजन किया गया उस उपरांत लंगर भी चलाया गया । बाबा जोरावर सिंह उम्र 9 वर्ष व बाबा फतेह सिंह उम्र 7 वर्ष की शहादत को समर्पित ‘वीर बाल दिवस’ को बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया गया ।

मुख्यग्रंथी ज्ञानी प्रेमसिंह ने शहादत की दास्तान सुनाते हुए कहा कि सरसा नदी में परिवार से बिछड़ जाने के बाद बाबा जोरावरसिंह व बाबा फतेहसिंह अपनी दादी गुजरी जी के चल रहे थे कि रास्ते मे गुरुजी का नोकर गंगू उनको अपने घर ले गया लेकिन रात को दादी गुजरी जी के पास सोने की मोहरें देखकर लालच में गया और रात को ही चुरा ली।सुबह सरहिंद के नवाब वजीर खान को सूचना दे दी कि गुरु गोबिंद सिंह के बच्चे और माता उनके घर पर है।वजीर खान ने तीनों को बंदी बनाकर ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया गया।

 

लगातार तीन दिन तक सूबे की कचहरी में बच्चों को इस्लाम कबूल करने के लिए प्रलोभन दिए गए और वजीर खान के आगे झुकने के लिए दबाब बनाया गया।  लेकिन बाबा जोरावरसिंह और बाबा फतेहसिंह ने जो बोले सो निहाल के जयकारों से कचहरी को गुंजा दिया। कहा कि हम अकाल पुरख और अपने गुरु पिता के अलावा किसी के सामने ये सिर नही झुकाते एवम इस्लाम को कबूल नही करेंगे। इस बात से खफा  वजीर खान के काजी ने जिंदा दीवार में चिनवा देने का फतवा जारी कर दिया।

दोनों बच्चों के बलिदान की सूचना से माता गुजरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए। सेठ टोडरमल ने अपना सबकुछ बेचकर करीब 78 हज़ार सोने की मोहरें ( 2 अरब 50 करोड़) बिछा कर चार गज जमीन को खरीदा और तीनों का संस्कार किया। इन छोटे बच्चो का  शहीदी दिहाड़ा हमेशा देश व धर्म के प्रति त्याग और बलिदान की प्रेरणा देता रहेगा।

इस मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान इंद्रमोहन सिंह, बलविंदर सिंह , कमलदीप सिंह , प्रेम मुटरेजा , गगनीश चावला , सुभाष सिंह मौजूद थे।

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