पराली जलाने पर किसानों पर लगाया 37 हजार से अधिक जुर्माना

सिरसा में 14 घटनाएं आई सामने,2 किसानोंं के खिलाफ प्रकरण दर्ज
पराली जलने से सिरसा की आबोहवा में आया बदलाव
राजेंद्र कुमार
सिरसा। हरियाणा के सिरसा में धान (चावल) की फसल पककर तैयार है। जिला मेंं अबकी बार दो लाख 60 हजार एकड़ में धान की बुवाई है। रानियां क्षेत्र के बासमती चावल की गुणवता बेहतर होने के कारण यहां का चावल इरान,इराक,जर्मनी आदि देशोंं मेंं एक्सपोर्ट भी होता है। इस वक्त फसल पूरे पकाव पर है। किसानों ने कम्बाईन आदि से फसल को काटना आरम्भ कर दिया है। इसी के साथ अगली फसल की बुवाई के लिए खेत खाली करने के लिए कई किसान पराली (फसल अवशेष) भी जला रहें हैं। पराली के जलाने से आसमान में उठे धुएं से जिलेभर में आबोहवा बदलकर प्रदूषित हो चली है वहीं सड़कों पर सुबह सवेरे विजिब्लिटी भी दिन प्रति दिन कम होने लगी है। जिससे वाहन चालकों को परेशानी हो रही है। आबोहवा मे घुले धुएं से आखों में जलन भी होने लगी है।
अगली फसल की जल्द बुवाई की चाहत में किसान चोरी छिप्पे पराली जला रहे हैं। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डा. सुखदेव सिंह कम्बोज के अनुसार सिरसा जिला प्रशासन ने अब तक 34 सूचनाओं पर रेड की जिनमें से 14 आगजनी की घटनाएं सही पाई गई। आगजनी के आरोप में किसानों पर 37 हजार500 रूपए जुर्माना किया गया है वहीं कुताबढ़ व कर्मगढ़ के दो किसानों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किए गए हंै। उन्होंने बताया कि विभाग अबकी बार गत वर्ष की अपेक्षा पच्चास फिसदी कम पराली का टारगेट लेकर चल रहा है। निरंतर सैटेलाइट व अन्य संसाधनों से आगजनी की घटनाओं की मानिटरिंग की जा रही है। जिला में पराली संग्रहण के कृषि क्षेत्र से संबधित कंपनी डेलोइस के सहयोग से 11 केंद्र बनाए गए हैं।
संयुक्त निदेशक डा. सुखदेव सिंह कम्बोज ने बताया कि किसानों को शासन व प्रशासन की ओर से पराली न जलाने का बारम्बार आग्रह किया जा रहा है। राज्य सरकार पराली न जलाने पर किसान को प्रति एकड़ एक हजार रू पए अनुदान देती है। वहीं पराली को एकत्रित करने से संबधित कृषि उपकरण खरीदने पर सब्सिडी भी दी जा रही है। वहीं रेड जोन क्षेत्र का पूरा गांव अगर पराली नहीं जलाता तो ग्राम पंचायत को सरकार एक लाख रूपए अनुदान देगी। सिरसा जिला में 11 गांव रेड जोन में शामिल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि गऊशालाओं को खेतों से गऊशाला तक पराली का लदान कर लाने के लिए 500 रूपए प्रति एकड़ ट्रंासपोर्ट खर्च भी दे रही है।
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.प्रवीण अरोड़ा ने पराली से उठे धुएं से आखों पर प्रभाव को लेकर बताया कि विशेषकर दुपहिया वाहन पर यात्रा करते समय चश्मा का उपयोग अवश्य करें। यात्रा के बाद आखों को ठंडे पानी से नियमित धोएं।