देश-दुनियाराजनीति

हुड्डा ने बजट को बताया निराशाजनक, नायब सैनी बोले बजट विकसित राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाने वाला

बजट ने किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी समेत हर वर्ग को किया निराश- हुड्डा
बजट किसानों, कारोबारियों, युवाओं, महिलाओं, गरीबों की उम्मीदों के अनुरूप है: सैनी

चंडीगढ़: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किये गए अंतरिम बजट पर हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा व कांग्रेस ने अपनी अपनी दलगत राजनीति के अनुरूप ही प्रतिक्रिया दी है l सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एवं सांसद नायब सैनी ने इस बजट को देश को विकसित राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाने वाला बताते हुए कहा है कि बजट किसानों, कारोबारियों, युवाओं, महिलाओं, गरीबों एवं मध्यमवर्ग सहित सभी देशवासियों की उम्मीदों के अनुरूप है। जबकि विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि बजट के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई है. इससे ना करदाता को कोई राहत मिली, ना इसमें बेतहाशा महंगाई को कम करने का कोई रोडमैप दिखाई दिया.बजट में किसान की एमएसपी व अन्य मांगों को भी पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है. गृहणी, मजदूर, कर्मचारी और व्यापारी वर्ग को भी बजट से सिर्फ निराशा हाथ लगी है l

केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी ने कहा कि इस बजट में समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा गया है, साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने की रूपरेखा भी बजट में साफ झलकती है। वित्त मंत्री ने केंद्र सरकार की उन उपलब्धियों को बजट में रखा है, जिससे भारत दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था वाला देश बना।

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि बजट के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई है. इससे ना करदाता को कोई राहत मिली, ना इसमें बेतहाशा महंगाई को कम करने का कोई रोडमैप दिखाई दिया. इसमें किसान की एमएसपी व अन्य मांगों को भी पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है. गृहणी, मजदूर, कर्मचारी और व्यापारी वर्ग को भी बजट से सिर्फ निराशा हाथ लगी.

हुड्डा ने कहा कि 10 साल में सरकार का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता गया. 2014 तक यूपीए सरकार में यह सिर्फ 4.8% था, जो अब बढ़कर 5.8 हो गया है. जबकि जीडीपी की विकास दर में भारी कमी देखने को मिली है. यूपीए सरकार के दौरान औसत विकास दर लगभग 8% रही, जो बीजेपी के 10 साल में 6% तक भी नहीं पहुंच सकी. इस बार के बजट से भी अर्थव्यवस्था में बेहतरी की कोई उम्मीद नजर नहीं आती.

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