भारतीय संविधान में भी गीता की बात निहित: धनखड़
गीता अद्भुत, धार्मिक, भौतिक, दार्शनिक, जीवन दर्शन प्रदान करने वाला ग्रंथः जगदीप धनखड़
कुरुक्षेत्र,(राणा) । भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि गीता अद्भुत, धार्मिक, भौतिक, दार्शनिक, जीवन दर्शन प्रदान करने वाला व हर समस्या का हल करने वाला व अंदर से मजबूती देने वाला ग्रंथ है। यदि हम गीता के सार को नहीं मानेंगे तो मोह में पड़कर रास्ता भटक जाएंगे इसलिए कर्म करते रहना चाहिए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। वे रविवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में केयू आडिटोरियम हॉल में वसुधैव कुटुम्बकमः श्रीमदभगवद् गीता और वैश्विक एकता विषय पर आयोजित 8वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
इससे पहले भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व उनकी धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी, हरियाणा के राज्यमंत्री संदीप सिंह, राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, असम के संस्कृति मंत्री बिमल बोरा व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने विधिवत रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया तथा सेमिनार की स्मारिका का विमोचन भी किया। इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कुवि परिसर में पौधारोपण किया।
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारतीय संविधान में भी गीता की बात निहित है। गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है इसलिए उसका अनुसरण करना आवश्यक है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत के ईस्टर्न क्षेत्र को विकसित करने के लिए लुक ईस्ट की शुरुआत की गई वहीं 8वें अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आसाम को स्टेट पार्टनर के रूप में शामिल किया गया है जो कि नार्थ ईस्ट के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता से मार्गदर्शन लेकर दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति को आपसी बातचीत से हल करने का रास्ता दिखाया। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को साकार करते हुए प्रधानमंत्री द्वारा जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को सदस्य बनाया गया।
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारतीय संविधान में भी गीता की बात निहित है। गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है इसलिए उसका अनुसरण करना आवश्यक है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत के ईस्टर्न क्षेत्र को विकसित करने के लिए लुक ईस्ट की शुरुआत की गई वहीं 8वें अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आसाम को स्टेट पार्टनर के रूप में शामिल किया गया है जो कि नार्थ ईस्ट के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता से मार्गदर्शन लेकर दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति को आपसी बातचीत से हल करने का रास्ता दिखाया। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को साकार करते हुए प्रधानमंत्री द्वारा जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को सदस्य बनाया गया। कुरुक्षेत्र से ही गीता का ज्ञान शुरू होता है उसी का अनुसरण करते हुए भारत ने कोविड़ काल में 100 से अधिक देशों की सहायता कर मानवता के कल्याण का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि आज तकनीकी के क्षेत्र में भारत शीर्ष पर है तथा विश्व की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। भारत की कभी भी विस्तारवादी नीति नहीं रही है। भारत हमेशा सौहार्द, संस्कृति, शान्ति, एकरूपता में विश्वास रखता है।
गीता सार्वभौमिक व सर्वकालिक ग्रंथ: मनोहर लाल
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गीता पुस्तक या ग्रंथ मात्र नहीं बल्कि जीवन का सार है, सार्वभौमिक व सर्वकालिक है। गीता पहले भी सार्थक थी और आज भी सार्थक है और आगे भी सार्थक रहेगी। गीता किसी परिवार, व्यक्ति विशेष, जिला, प्रदेश, दुनिया व देश के लोगों के लिए नहीं बल्कि गीता का महत्व हर किसी के लिए है। गीता शाश्वत संदेश देती है जो मनुष्य के स्वभाव व जीवन के उथल-पुथल व विश्व को शान्ति व सुखी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
गीता के बारे में बोलना सूर्य को रोशनी दिखाने जैसा है। गीता के माध्यम से हम विश्व को दिशा दिखा सकते हैं व शान्ति की स्थापना करने में सहयोग कर सकते हैं। समझ बढ़ाने के लिए व दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए गीता की आवश्यकता है। हमें विश्व को संदेश देना होगा। मुख्यमंत्री मनोहर ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से उन्होंने जापानी का कोर्स किया हुआ है। भाषा लोगों को जोड़ने का कार्य करती है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में जल्द ही इंग्लिश एंड फौरन लैंग्वेजिज़ यूनिवर्सिटी हैदराबाद का विदेशी भाषा सिखाने का क्षेत्रीय केन्द्र खोला जाएगा। इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मंच का उपयोग हमें समस्याओं का समाधान खोजने के लिए करना होगा।