यादों के झरोंखे से : कितना बदल गया है मेरा शहर ….दादरी..
—सुरेश गर्ग
चरखी दादरी के अतीत के यादों के जब पन्ने पलटता हूँ तो मुझे याद आता है कि 70 के दशक में मेरे शहर में गिनती की कारें हुआ करती थी । सड़क पर गुजरती इन कारों को देखकर उनके रंग से ही पहचान जाया करते थे कि ये किसकी कार है ।
उस दौर में किसी के घर में टेलीफोन ,मोटर साइकिल ,स्कूटर होना ही बहुत बड़ी बात मानी जाती थी तो जिसके पास कार रही होगी उसे कितना बड़ा आदमी माना जाता रहा होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
चरखी दादरी में उस दौर में सेठ गणपत राय रासीवासिया, सेठ शंकर बागड़ी, सांसद श्री रामकृष्ण गुप्ता, चौधरी अमर सिंह फोगाट, श्री हीरा सिंह चिनारिया के परिजनों, स्थानीय सीमेंट फेक्ट्री के जीएम, सेठ हरबिलास बधवानिया इत्यादि कुछ लोंगों के पास कार हुआ करती थी । कुछ नाम अभी याद नहीं आ रहे हैं लेकिन के बहुत कम थे।मुश्किल से संख्या एक दर्जन से कुछ अधिक रही होगी। हो। इनमें भी एम्बेसडर, फिएट कारें थी।फिएट को लक्ज़री कार माना जाता था।
ग्रामीण व शहरी इलाकों के कुछ बड़ी शान, बड़े किसानों के पास जीपें हुआ करती थी। शहर के कुंवर गिरेन्द्र सिंह, लंबू लाला अपनी शानदार सजी हुई जीप को लेकर निकलते थे तो उनकी शान, रौब-दाब देखते ही बनता था।
अब आज का दौर है ,रात में किसी भी सड़क पर निकल जाइये सड़कों के ऊपर खड़ी कारों की लंबी कतारें नजर आ जायेगी । कई कालोनियों में हर घर, कोठी के आगे,गेट में काफ़ी महंगी कारें खड़ी मिल जाएंगी।
अधिकतर लोग केवल स्टेट्स सिंबल, अपनी अहमियत दर्शाने के लिए कार लेना जरूरी समझने लगे हैं।कईयों के लिए कार को जरूरत नहीं होती लेकिन दिखावा, अहम एक बड़ी वजह दिखाई देती है। उनका पब्लिक ट्रांसपोर्ट से अच्छे तरीके से काम चल सकता है..
सम्पन्न लोंगों की बात छोड़िए, बड़ी संख्या में टीचर्स, वकील, दुकानदार, कारीगर , दफ्तरों के अफसर ही नहीं साधारण बाबू, क्लर्क कार रखते हैं। पेट्रोल चलित बाइकों, स्कुटीज की संख्या तो इतनी अधिक हो चुकी है जितनी 50 साल पहले साइकलें भी नहीं थी।
शहर की कई कालोनियों में पार्किंग की समस्या गम्भीर बनती जा रही है। हो सकता है, आने वाले दिनों में नगर परिषद मकानों के नक्से पास करने के साथ पार्किंग की शर्त को अनिवार्य कर दे। ऐसा करना मजबूरी भी होगी।
मास्टर सुरेश गर्ग जी चरखी दादरी की ही नहीं वरन हरियाणा की जानीमानी हस्ती हैं l वर्षों से चरखी दादरी में पत्रकारिता से जुड़े हैं l