राजनीति

बीमा क्लेम जारी नहीं होने पर किसान करेंगे तहसील कार्यालय पर तालाबंदी: लखविंद्र सिंह  

पिछले 16 सालों से भारत सरकार ने बीटी बीज में नई तकनीक के तहत कोई सुधार नहीं

राजेंद्र कुमार  ‌
सिरसा,18 सितंबर। हरियाणा में सिरसा जिले के कालांवाली उपमंडल क्षेत्र के किसानों का खरीफ -2022 का बीमा क्लेम खातों में न आने से खफ ा किसानों ने आज कालावाली अनाज मडी में रोष प्रदर्शन किया। किसानों ने कहा कि अगर 27 सितंबर तक बकाया बीमा क्लेम जारी नहीं किया गया तो वीरवार 28 सितंबर को कालांवाली उपमंडल कार्यालय पर तालाबंदी करके किसान पक्का मोर्चा लगाएंगे।

किसानों का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान एकता बीकेई के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने कहा कि किसानों द्वारा किए गए लंबे संघर्ष के बाद हरियाणा सरकार ने खरीफ -2022 का बीमा क्लेम किसानों के खातों में डालना शुरू किया है, जिसमें कालांवाली तहसील क्षेत्र के कई गांवों के किसानों का बीमा क्लेम अभी तक नहीं आया है। किसानों ने मांग की है कि तुरंत सभी किसानों का बीमा क्लेम जारी किया जाए।

औलख ने कहा कि अगर 27 सितंबर बुधवार तक किसानों का खरीफ -2022 का बीमा क्लेम जारी नहीं किया गया तो वीरवार 28 सितंबर को कालांवाली उपमंडल में तालाबंदी करके किसान पक्का मोर्चा लगाएंगे। बीमा कंपनी और सरकार ने किसानों के साथ एक ओर धोखा किया है, टेबुलेशन के हिसाब से गांव वाइज जितना बीमा क्लेम बनता था, पूरा बीमा क्लेम किसानों को ना देते हुए उसमें कटौती की है। खरीफ -2020 का बकाया मुआवजा तहसीलों में आने के बावजूद भी किसानों के खातों में नहीं डाला गया, जो कि मार्च 2023 में सरकार को वापस भेज दिया गया, उसको भी किसानों के खातों में तुरंत प्रभाव से डाला जाए।

औलख ने कहा कि रबी 2022-23 में ओलावृष्टि, तूफान व भारी बरसात से किसानों की गेहूं, जौ, सरसों, हरा चारा व सब्जियों सहित बहुत सारी फसलें बर्बाद हो गई थी। उनका बीमा क्लेम भी अभी तक जारी नहीं किया गया है वह भी तुरंत प्रभाव से जारी किया जाए। बीमा प्रीमियम भरने के बाद किसानों को बीमा पॉलिसी नहीं दी जाती। इन सभी मांगों को लेकर किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम कालांवाली को एक ज्ञापन सौंपा।

औलख ने कहा कि । दूसरा मांग पत्र कृषि मंत्री भारत सरकार को सौंपा गया। ज्ञापन में किसानों की सबसे बड़ी समस्या निम्न स्तर के खाद, बीज व कीड़ेमार दवाईयों की बताते हुए बीटी कॉटन बीज में सुधार की मांग मुख्य रूप से रखी गई। औलख ने बताया कि पिछले 16 सालों से भारत सरकार ने बीटी बीज में नई तकनीक के तहत कोई सुधार नहीं किया है। 2018 में दक्षिण भारत बीटी कॉटन को गुलाबी सुंडी अपनी लपेट में लिया फिर 2019 से पूरे देश में गुलाबी सुंडी तांडव मचाना शुरू कर दिया, जो हर साल किसानों के बीटी कॉटन को बर्बाद कर रही है। इस साल नरमे की फसल में गुलाबी सुंडी और धान की फसल में पतालपेट सुंडी ने किसानों की फसलें बर्बाद कर दी हैं। पेस्टीसाइड कंपनियों ने किसानों को लूटने के लिए महंगे से महंगे प्रोडक्ट बाजार में उतारे, लेकिन पेस्टिसाइड के सभी उत्पाद धान व बीटी कॉटन की फसलों को सुंडियो से बचाने में नाकाम रहे।

 

किसानों ने कृषि मंत्री भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि कृषि प्रधान देश में अगर किसान को बचाना है तो उसे उच्च क्वालिटी की खाद, बीज व पेस्टीसाइड मुहैया करवाई जाए। किसानों को अपनी फसलों की अच्छी उपज चाहिए ना की बीमा क्लेम या मुआवजा, लेकिन सरकार बीमा क्लेम और मुआवजे में किसानों को उलझाकर एक साजिश के तहत पेस्टिसाइड और बीज वाली कंपनियों का घर भर रही है और किसानों को आर्थिक मंदी की ओर धकेल रही है। सरकार से मिलकर खाद, बीज व पेस्टीसाइड वाली कंपनियां किसानों को मन चाहे रेटों पर निम्न स्तर के प्रोडक्ट बेचकर लूट रही है। इस मौके पर भरत सिंह गोदारा,गुरलाल सिंह भंगू,कौर सिंह ओढ़ां, इकबाल सिंह, गुरप्रीत जैलदार, नथा सिंह झोरड़ रोही, भगवान सिंह सरां, मान सिंह, गुरदेव सिंह उपस्थित थे।

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