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आनेवाले केंद्रीय बजट से अपेक्षाएं छोटी औद्योगिक इकाइयों के लिए आसान हो फंडिंग’ बुवानीवाला

आनेवाले केंद्रीय बजट पर नज़रें

 

चंडीगढ़ : लगभग साढ़े 6 करोड़ इकाइयों वाले माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेगमेंट की नजरें 1 फरवरी पर टिकी हैं, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन का कहना है कि छोटी औद्योगिक इकाइयों के लिए ज्यादा और आसान फंडिंग का इंतजाम किया जाए। उनका कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ घट रही है, ऐसे में एमएसएमई को सपोर्ट देना और जरूरी हो गया है।
राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन (RJUVS) के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा, ‘कमजोर कंस्यूमर डिमांड, कम प्राइवेट इनवेस्टमेंट और ऊंची महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई के ब्याज दरें ज्यादा रखने से इकनॉमिक एक्टिविटी घटी है। एक बड़ा असर पड़ा है चुनावों के चलते सरकारी खर्च घटने से। इससे एमएसएमई की बिक्री और मुनाफे, दोनों पर असर पड़ा है।’
अशोक ने कहा, ‘एमएसएमई के लिए आसान फंडिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। आरबीआई की स्पेशल मेशन अकाउंट की व्यवस्था से दिक्कत हो रही है। पिछले बजट के बाद इसका रिव्यू किया गया, लेकिन कोई खास लाभ नहीं हुआ है। साथ ही, बैंक लोन रेटिंग का सिस्टम के नाम पर थर्ड पार्टी रेटिंग थोप दी गई है। पिछले साल बजट में कहा गया था कि सरकारी बैंकों को अपना क्रेडिट असेसमेंट मॉडल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। लेकिन आरबीआई ने स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं बनाई, लिहाजा दिक्कत बनी हुई है।
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा, ‘एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर टाउनशिप बनाई जानी चाहिए, जहां कॉमन टेस्टिंग और आरएंडडी सेंटर हों, फाइनैंशल इंस्टिट्यूशन हों, कॉमन सर्विस प्रोवाइडर हो, लेबर के रहने की जगह हो और स्कूल-अस्पताल भी हों।’ नैयर ने कहा कि गिरवी के बिना लोन की नीति के बावजूद एमएसएमई को कर्ज पाने में दिक्कतें होती हैं। बैंक पर्सनल प्रॉपर्टी गिरवी रखने को कहते हैं और ज्यादा ब्याज भी लेते हैं। ये दिक्कतें दूर की जानी चाहिए।
अशोक ने कहा कि एमएसएमई को रोजगार सृजनकर्ता के रूप में ध्यानार्थ करना होगा। जीएसटी और ऋण से जुड़ी उनकी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। हाल ही में वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपना विचार व्यक्त किया कि रोजगार संबंधी चुनौती का कारण यह है कि देश श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार सृजित करने में सक्षम नहीं है।
एमएसएमई की अहमियत एमएसएमई का देश के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट में लगभग 27% और निर्यात में करीब 45% योगदान है। इस सेक्टर में करीब 21 करोड़ लोग काम कर रहे है।

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