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युवाओं को भी कड़ी टक्कर दे रहे है खेल नगरी भिवानी के बुजुर्ग खिलाड़ी

बुजुर्ग खिलाड़ी सूबेदार राजपाल कलकल ने नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीते 3 स्वर्ण

Ο बुजुर्ग खिलाड़ी राजपाल कलकल ने 400 मीटर, 800 मीटर व 1500 मीटर दौड़ में जीते 3 स्वर्ण पदक
Ο खेल को अपनाकर व्यक्ति रह सकता है तंदुरूस्त व बीमारियों से दूर : खिलाड़ी राजपाल कलकल

भिवानी: खेल नगरी के नाम से मशहूर भिवानी के युवा खिलाडिय़ों की प्रतिभा से दुनिया वाफिक है, लेकिन खेल नगरी भिवानी के युवा ही नहीं बुजुर्ग भी खेल के क्षेत्र में युवाओं से पीछे नहीं है तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी अपने शानदार खेल का प्रदर्शन युवा को कड़ी टक्कर में लगे हुए है। इसी कड़ी में स्थानीय विद्या नगर निवासी सूबेदार राजपाल कलकल ने हालही में महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित हुई चौथी नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीन प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर भिवानी का नाम रोशन किया है।

कहते हैं, मन में कुछ करने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। इन्ही पंक्तियों को साबित कर दिखाया है स्थानीय विद्या नगर निवासी सूबेदार राजपाल कलकल ने। बता दे कि 13 से 17 फरवरी तक महाराष्ट्र के पुणे में चौथी नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आयोजन किया गया गया था। इस प्रतियोगिता में सूबेदार राजपाल कलकल ने 80 वर्ष से आयु वर्ग की 400 मीटर, 800 मीटर व 1500 मीटर दौड़ में हिस्सा लेते हुए तीनों ही प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक हासिल कर ना केवल क्षेत्र का नाम रोशन किया, बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए है।

भिवानी पहुंचने पर पदक विजेता सूबेेदार राजपाल कलकल ने बताया कि वे पहले भी कई राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुके है। उन्होंने कहा कि खेलों की कोई उम्र सीमा नहीं होती। खेल को अपनाकर व्यक्ति तंदुरूस्त व बीमारियों से दूर रह सकता है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण वे स्वयं है। उन्होंने कहा कि उनकी उम्र 82 वर्ष है, लेकिन खेल अपनाने के कारण वे आज तक किसी भी बीमारी का शिकार नहीं हुए है। ऐसे में वे युवाओं से आह्वान करते है कि वे खेलों में अधिक से अधिक भागीदारी करें, ताकि राष्ट्र को स्वस्थ बनाया जा सकें।

वही अपनी दिनचर्या व डाईट के बारे में बताते हुए पदक विजेता बुजुर्ग खिलाड़ी राजपाल कलकल ने बताया कि उन्होंने हमेशा से ही देशी खान-पान को तवज्जो दी है। इसके साथ वे नशे के भी धुर विरोधी है। उन्होंने बताया कि वे सुबह खाली पेट करीबन डेढ़ घंटे तक व्यायाम करते है। जिसके बाद घर आकर भुने हुए चने व गुड़ का सेवन करते है। इसके बाद करीबन 12 बजे आधा लीटर दूध, कॉन फलेक का नाश्ता करते है। इसके बाद करीबन साढ़े 3 बजे दो रोटी, सब्जी व सलाद का सेवन करते है। शाम 6 बजे फिर व्यायाम के लिए निकलते है तथा करीबन साढ़े 7 बजे वापिस लौटकर फलों का सेवन करते है। इसके बाद रात 9 बजे दो चपाती, सब्जी व सलाद लेते है। उन्होंने बताया कि इसके बाद वे सोते समय आधा लीटर दूध व बोर्नविटा पीकर सो जाते है।

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