विधायकों द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुलाने को लेकर सरकार व विपक्ष में तकरार
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के एक आदेश के खिलाफ विधायक आ गए हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री ने जिला स्तर के अधिकारियों की विधायकों के द्वारा बुलाई जाने वाली बैठक पर रोक लगाई है। इस फैसले पर कांग्रेस और INLD विधायकों ने आपत्ति बताई है। विधायकों का कहना है कि सीएम का यह आदेश असंवैधानिक है। इससे ब्यूरोक्रेसी में तानाशाही बढ़ेगी।
इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला का कहना है कि एक विधायक लोगों का निर्वाचित प्रतिनिधि होता है, इसलिए सरकार को विधायकों को अधिकारियों के साथ बैठकें करने की अनुमति देनी चाहिए ताकि उन्हें लोगों के प्रति जवाबदेह बनाया जा सके।
CS से बड़ा होता है MLA का प्रोटोकॉल
राज्य के विधायकों ने सीएम के फैसले पर अफसोस जताया कि एक तरफ विधायकों को प्रोटोकॉल में मुख्य सचिव के पद से ऊपर माना जाता है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें लोक कल्याण से संबंधित बैठक बुलाने के उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। यह उचित फैसला नहीं है। इससे जनता के अधिकारों का सूबे के ब्यूरोक्रेट्स हनन करेंगे।
विधायकों के पास संवैधानिक अधिकार
रोहतक से कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा का कहना है कि विधायक संवैधानिक पद रखते हैं जबकि अधिकारी-कर्मचारी कार्यपालिका का हिस्सा होते हैं। उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं होता है। हरियाणा सरकार द्वारा ‘विधायक अधिकारियों की बैठक बुलाने या खुले दरबार की अध्यक्षता नहीं करने का फैसला अलोकतांत्रिक है।
अभय बोले- मिलनी चाहिए अनुमति
इनेलो विधायक अभय चौटाला ने कहा कि चूंकि विधायक लोगों का निर्वाचित प्रतिनिधि है, इसलिए राज्य सरकार को विधायकों को अधिकारियों की बैठकें आयोजित करने की अनुमति देनी चाहिए ताकि उन्हें लोगों के प्रति जवाबदेह बनाया जा सके। निर्वाचित प्रतिनिधियों की लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए जिला-स्तरीय अधिकारियों की बैठकें आयोजित करने या ‘खुले दरबार’ की अध्यक्षता करने की अनुमति दी जाए।
इस आदेश का विधायक कर रहे हैं विरोध
प्रदेश सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि कई बार विधायक अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जिले के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुला लेते हैं, जो कि उचित नहीं है। इसके अलावा, हर जिले में हर माह में एक बार लगने वाले खुले दरबारों की अध्यक्षता (चेयर) करने का अधिकार भी सिर्फ डीसी के पास है, जबकि विधायक ऐसे खुले दरबारों को चेयर नहीं कर सकते।
यदि कोई विधायक अपने किसी काम से अथवा जनता की समस्याओं के समाधान के लिए या फिर किसी भी चर्चा के लिए अधिकारी खासकर डीसी-एसपी के कार्यालय में जाता है तो उन्हें पूरे सम्मान और शिष्टाचार के साथ आदर देना होगा।