चौ. बंसीलाल की 96वीं जयंती पर विशेष : चौ. बंसीलाल के आदर्शों और कामों को याद करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें


हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व रक्षा मंत्री दिवंगत चौ० बन्शीलाल का आज 96वां जन्म दिवस मना रहे हैं , उनका जन्म 26 अगस्त , 1927 को लोहारू नवाब की रियासत के गोलागढ़ गांव में एक किसान परिवार में चौ० मोहर सिंह के घर हुआ । औपचारिक शिक्षा के बाद उनके पिता ने उन्हें लोहारू में स्थापित अपनी दुकान के काम में लगा दिया , परन्तु उनकी पढ़ने में बहुत रुचि थी और प्राईवेट तौर पर कड़ी मेहनत करके 1952 में बीए परीक्षा पास कर ली तथा 1956 में पंजाब विश्व विद्यालय से कानून की डिग्री हासिल करके भिवानी कोर्ट में अपनी वकालत शुरू कर दी।
आजादी से पहले अपनी औपचारिक पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने देशी रियासतों के विरुद्ध चल रहे प्रजामण्डल आन्दोलन में भी भाग लिया । फिर वकील बनने के बाद वे हिसार कांग्रेस के जिला प्रधान रहे और भिवानी बार एसोसियेशन के प्रधान भी रहे । 1960 में उनको कांग्रेस ने राज्य सभा का सदस्य बना दिया। नवम्बर 1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बन गया , जो आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ था ।
चौ. बन्शीलाल ने 1967 में पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर तोशाम विधान सभा से लड़ा था जिसमें लोहारू को अलग किया गया था । 1967 में राव विरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में संविदा सरकार बनी थी , जो कुछ महिने चली और मई , 1968 में राज्य विधान सभा के मघ्याविधि चुनाव हुए , उसमें चौ० बन्शीलाल फिर तोशाम हल्के से कांग्रेस विधायक बन गये। उनकी काबलियत और कांग्रेस के प्रति समर्पित भावना को देखते हुए हरियाणा विधायक दल ने उनको सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया और 31 मई , 1968 को वे हरियाणा के तीसरे मुख्यमंत्री बन गए। उस समय उनकी आयु मात्र 41 वर्ष थी , उस समय हरियाणा काफी पिछड़ा हुआ राज्य था ,
चौ. बन्शीलाल ने राज्य के मूलभूत ढांचे के निर्माण में पहलकदमी करके गांव गांव में बिजली , रोड़ , स्कूल , प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र , जिला स्तर पर हस्पताल और कालेज व सिंचाई हेतु नहरें निकालकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी का पूर्ण विश्वास हासिल कर लिया , इसलिए चौ० बन्शीलाल को आधुनिक हरियाणा का निर्माता भी कहा जाता है , उनके जहन में हरियाणा के विकास की स्पष्ट तस्वीर थी और बड़े बड़े टीलों पर लिफ्ट सिंचाई परियोजना लगाकर बंजर रेतीले इलाकों में बिजली पानी पहुंचाकर लोगों का दिल जीत लिया । वे बहुत मेहनती व्यक्तित्व के धनी थे , उनमें गुस्सा भी बहुत था , पर गुस्सा करके भी ना किए हुए काम को भी चुपके से कर दिया करते थे। वे जाति पाति व विशेष क्षेत्र का भेदभाव नहीं करते थे , बल्कि उन्होंने पूरे हरियाणा का सर्वांगीण विकास किया।
वे अक्तूबर1975 तक राज्य के मुख्य मन्त्री रहे और हरियाणा को विकास के हिसाब से प्राथमिक राज्यों में खड़़ा कर दिया। जून , 1975 में कांग्रेस नेतृत्व से एक ऐतिहासिक भूल हुई कि देश में अनावश्यक रूप से आपातकाल लागू करके सभी बड़़े बड़े विपक्षी नेताओं को मीसा के तहत गिरफ्तार करके जेलों में डाल दिया और मुख्य मन्त्री रहते चौ॰ बन्शीलाल ने कई बड़े विपक्षी नेताओं को हरियाणा की जेलों में स्थान्तारित करवा दिया , इससे उनके उपर तत्कालीन प्रधान मन्त्री श्रीमति इन्दिरा गांधी के साथ तानाशाह बनने का आरोप लग गया । उसके बाद चौधरी साहब को नवम्बर 1975 में देश का रक्षा मन्त्री बना दिया गया ।
हरियाणा के एक पिछड़े हुए गांव गोलागढ में एक साधारण किसान परिवार में पैदा होकर अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाते हुए प्राईवेट तौर पर मेहनत करके पढ़ाई की और राज्य के सफल मुख्य मन्त्री होते हुए देश के रक्षा मन्त्री बन गये , ये उनके लिए तथा भिवानी और हरियाणा के लिए बहुत ही गौरव का अवसर था। आपातकाल में हुई गलतियों के कारण 1977 में उतर भारत में कांग्रेस की बुरी हार के साथ भिवानी से चौ० बन्शीलाल लोक सभा का चुनाव हार गये। हारने के बाद उनके उपर आयोग बैठाकर भ्रष्टाचार व सत्ता के दुरुपयोग करने के सैंकड़ों गंभीर आरोप लगाए गये । 1980 से पहले ही अन्दरूनी कलह से जनता पार्टी टूट गई और 1980 के लोक सभा के मध्यावधि चुनाव में चौ० बन्शीलाल भिवानी लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुन लिए और संसद की कई कमेटियों के चैयरमैन रहे , फिर 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भिवानी से सांसद बने तथा श्री राजीव गांधी के नेतृत्व में बनी केन्द्र सरकार में रेल व परिवहन मंत्री बने । फिर 1986 में केन्द्र से इस्तीफा देकर तीसरी बार हरियाणा के मुख्य मन्त्री बनाए गए ।
पंजाब के साथ नदी जल विवाद ,चन्डीगढ़ तथा कुछ क्षेत्रों को लेकर राजीव लोगोंवाल समझौता हुआ था , जो दोनों राज्यों के हित में था , हरियाणा में एस वाईएल का पानी आ जाता , चन्डीगढ़ पंजाब को देकर अबोहर फाजिल्का हरियाणा में आ जाता तथा हरियाणा की राजधानी राज्य के बीच में बन जाती , केन्द्र इसके लिए पैसा देता , ऐसी कोई सहमति बनी बताते हैं । परन्तु पंजाब में अकालियों तथा हरियाणा में चौ० देवी लाल के नेतृत्व में लोकदल ने उस समझौते का विरोध कर दिया , भाजपा भी शामिल थी तथा 1987 में हरियाणा में एक कांग्रेस विरोधी माहौल बना दिया तथा विधान सभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार हुई और चौ० बन्शीलाल जो तोशाम से वोटों में जीते हुए थे , मतगणना में एक साज़िश के तहत हरवा दिये गये ।
कांग्रेस हाईकमान ने उन जैसे कद्दावर नेता की उपेक्षा करनी शुरू कर दी और उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी बना ली , जिसके 1991 के चुनाव में हविपा के 12 विधायक और भिवानी से लोकसभा सांसद चौ॰ जंगबीर सिंह जीत कर आए , हरियाणा में चौधरी भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आ गई । फिर चौ० बन्शीलात विपक्ष में रहकर मेहनत करने लगे और 1996 में भाजपा के साथ मिलकर राज्य की सरकार बनाई , जो तीन वर्ष तक चली । 1996 के विधान सभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले चौधरी बन्शीलाल की विकास पुरुष की छवी , राज्य में शराब बंदी का नारा , अच्छा प्रशासक तथा जबान का धनी मानकर लोगों ने चौथी बार मुख्य मन्त्री बना दिया। परन्तु चौ० बन्शीलाल की पार्टी हविपा का स्पष्ट बहुमत नहीं होने के कारण भाजपा पर उनकी निर्भरता ने उन्हें विकलांग बना दिया और भाजपा उनको दबाने लगी , वे स्वतन्त्र रूप से काम नहीं कर सके , शराब बंदी की जगह ब्लैक में बिकने लगी , सैंकड़ों युवा अवैध शराब के कारोबार के आरोप में जेलों में डालने पड़े , कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी कर दी , बिजली पानी की समस्या होने लगी , किसान भी नाराज होने लगे और भाजपा ने शराब बंदी खोलने का दवाब बनाया तथा जन विरोध का सारा गुस्सा चौ. बंशीलाल के सिर मंड चालाकी से उनकी सरकार गिरा दीl
भाजपा ने अवसरवाद खेलकर रातों-रात चौ॰ ओमप्रकाश चौटाला की सरकार बनवाकर उसमें हिस्सेदार हो गए । इससे चौ० बंसीलाल को भाजपा द्वारा धोखा करने से उन्हें भारी धक्का लगा ।सन् 2000 विधान सभा चुनाव में हविपा के केवल दो विधायक बने , भिवानी से स्वयं चौधरी बन्शीलाल तथा बवानी खेड़ा से रामकिशन फौजी पहली बार चुनकर आए । फिर तो चौ० बन्शीलात ने एक तरह से राजनीति से सन्यास ले लिया तथा उनके पुत्र चौधरी सुरेन्द्र सिंह व दिल्ली से विधायक उनकी पत्नी श्रीमति किरण चौधरी के कहने पर 2004 में हविपा का कांग्रेस में विलय कर लिया । उसके बाद हुए विधान सभा चुनाव में उनके सुपुत्र चौधरी सुरेन्द्र सिंह तोशाम से , ज्येष्ठ सुपुत्र चौधरी रणबीर सिंह महेन्द्रा मुढ़ाल तथा दामाद चौधरी सोमबीर सिंह लोहारू से विधायक बन कर आए । चौधरी सुरेन्द्र सिंह को श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पहले मन्त्री मण्डल में कृषि सिंचाई मन्त्री बनाया गया।
दुर्भाग्य से मार्च 2005 में उद्योगपति व मन्त्री ओपी जिंन्दल के साथ एक हैलिकाप्टर दुर्घटना में वे नहीं रहे। इस घटना ने चौ॰ बन्शीलाल तथा पूरे परिवार तथा भिवानी जिले को हिलाकर रख दिया । भिवानी जिले ने एक होनहार बहुत उपर तक जाने वाले बुद्धिमान हुए चौ॰ सुरेन्द्र सिंह को खोकर बहुत नुकसान उठाना पड़ा और चौ० बन्शीलाल के लिए यह सबसे बड़ा सदमा था और वे भी 28 मार्च ,2006 को इस संसार को छोड़ कर चले गए ।
आज हम उनको याद करते हैं , हरियाणा के विकास में उनका बहुत बड़ा योगदान था , उनके उपर आर्य समाज का प्रभाव था, वे एक उच्च कोटि व्यक्तित्व के धनी थे , मनुष्य की तरह कमजोरियां भी थी , उनका विरोध भी सबसे ज्यादा होता था। परन्तु उन्होंने जो मेहनत की तथा हरियाणा को उंचा उठाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया , हरियाणा की जनता कभी भूल नहीं पाएगी । पूरे देश में भिवानी को चौधरी बन्शीलाल के नाम से जाना जाता था , आइए उनके आदर्शों और किए कामों को याद करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।
Ο Note: इस आलेख में प्रकाशित विचार कॉमरेड ओमप्रकाश सागवान के व्यक्तिगत विचार हैं सम्पादक का इन विचारों से सहमत होना अनिवार्य नहीं है