
Ο महंगी स्वास्थ्य सेवाओं के मकड़जाल से गरीब आदमी को निजात दिलाने की बजाय परेशानी सबब बना आयुष्मान कार्ड
Ο आयुष्मान पैनल में अस्पताल आयुष्मान धारकों से कर रहे हैं मनमर्जी
Ο आयुष्मान पैनल पर अस्पतालों में होनी चाइये शिकायत की व्यवस्था
Ο शिकायत की जाँच की भी हो पुख्ता व्यवस्था और दंड का प्रावधान
रोहतक : आयुष्मान कार्ड प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों की जेबें भरने का साधन बन कर रह गया है l प्राइवेट अस्पतालों संचालकों द्वारा अपनी सुविधा के अनुसार मरीजों का इलाज किया जा रहा है l किस मरीज को दाखिल करें और किस को नहीं ये पूरी तरह अस्पताल संचालकों की मर्ज़ी पर है l
सरकार ने जब आयुष्मान कार्ड बनाने की सोची होगी तब निश्चय ही महंगी स्वास्थ्य सेवाओं के मकड़जाल से गरीब आदमी को निजात दिलाना ही एकमात्र मकसद रहा होगा l इस तरह की योजनाओं के बनाते वक़्त सरकारी अमले को इन योजनाओं को लागू करवाने के लिए कोई ठोस कार्यनीति बनाई जानी चाहिए , ताकि सरकारी योजनाओं का फायदा उसके वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे l
मामला रोहतक बाई पास स्थित बड़े प्राइवेट अस्पताल का है जो आयुष्मान कार्ड के पैनल पर है l नजदीक के गाँव खरावड़ के 55 वर्षीय किसान रणजीत सिंह तीन नवंबर दोपहर 12 बजे अपने खेत में पानी लगा रहा था कि काम करते हुए अचानक पानी की नाली के किनारे से उसका पैर फिसल गया और इसका घुटना निकल गया। उसके परिजन उसके आयुष्मान कार्ड,आधार कार्ड , परिवार पहचान पत्र और राशन कार्ड के साथ रोहतक दिल्ली बाईपास पर प्राइवेट अस्पताल लेकर गए जो आयुष्मान के पैनल पर है लेकिन उन्होंने आयुष्मान पर इलाज करने से मना कर दिया।
ये परिजन उसे लेकर सेक्टर 36 में एक आयुष्मान में पैनल एक अन्य अन्य मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में ले गए l यहां पर उन्होंने भी आयुष्मान कार्ड पर इलाज करने में असमर्थता प्रकट की। परेशान किसान इधर-उधर भटकता रहा। लेकिन आयुष्मान कार्ड का लाभ नहीं मिला । अंत में परिजन उसे मेडिकल कॉलेज ले गये जहां पर किसान का इलाज चल रहा है।
आयुष्मान कार्ड को लेकर निजी अस्पतालों में इस तरह की शिकायतें आम बात हैं जिसमें आयुष्मान कार्ड के लिए अधिकृत निजी अस्पताल संचालकों द्वारा अपनी सुविधा अनुसार मरीजों का इलाज किया जाता है l अगर लगे कि इस इलाज में मुनाफा कम है तो मरीज़ों को तरह तरह के बहाने कर दाखिल करने से मना कर दिया जाता है l इस तरह से आयुष्मान कार्ड धारक एक के बाद एक प्राइवेट अस्पतालों के धक्के खाकर वापस सरकारी अस्पतलों की शरण में आने को मजबूर होता है l
सरकार को इस तरह की योजनाओं को बनाते वक्त उनके लागू करने की भी पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए l जिस से सरकार द्वारा गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुँच सके l आयुष्मान कार्ड के पैनल में शामिल अस्प्तालों पर सरकार कोई नियंत्रण करे और कोई ऐसी व्यवस्था भी करे कि इलाज से मना करने पर ऐसे सभी अस्पतालों में एक शिकायत का रजिस्टर हो जिसमें मरीज व् उसके अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज कर सकें l इस रजिस्टर की जांच की सरकारी व्यवस्था भी हो ताकि ऐसे अस्पतालों के खिलाफ क़ानूनी करवाई की जा सके l