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51 दिवसीय गीता जयंती महोत्सव के तहत घर-घर तक गीता के संदेश को पहुंचाने का अभियान जारी

गीता जी भेंट कर दिलाई जल, पर्यावरण एवं स्वच्छता अपनाने व नशे से दूर रहने की शपथ

भिवानी, 14 नवंबर : अगले माह मनाए जाने गीता जयंती महोत्सव को लेकर युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा स्थानीय हनुमान ढ़ाणी स्थित हनुमान जोहड़ी मंदिर में 51 दिवसीय गीता जयंती महोत्सव की शुरूआत की गई थी। इस कार्यक्रम के तहत हनुमान जोहड़ी मंदिर के महंत बालयोगी चरणदास महाराज की प्रेरणा से गीता के संदेश को घर-घर पहुंचाने के लिए विभिन्न स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।
इसी कड़ी में मंदिर के भक्तजन सामाजिक कार्यकर्ता रमेश सैनी के नेतृत्व में राजस्थान के चिड़ावा में पहुंचे तथा वहां पर आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार के बच्चों के लिए अनिता पुनिया एवं विकास पुनिया द्वारा संचालित की जा रही सरला पाठशाला में पाठशाला संचालकों को गीता जी भेंट कर उन्हे गीता जयंती महोत्सव के बारे में जानकारी दी। इसके उपरांत उन्होंने पाठशाला संचालकों व विद्यार्थियों को जल, पर्यावरण एवं स्वच्छता अपनाने व नशे से दूर रहने का आह्वान करते हुए शपथ भी दिलाई। यह कार्यक्रम हनुमान जोहड़ी मंदिर के महंत बालयोगी चरणदास महाराज की प्रेरणा से किया गया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता सरला पाठशाला की संचालिका अनिता पुनिया ने की।
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता रमेश सैनी ने कहा कि गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज की प्रेरणा से हनुमान जोहड़ी मंदिर परिसर में हर वर्ष गीता जयंती के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक गीता के महत्व को पहुंचाया जा सकें। उन्होंने कहा कि गीता का महत्व अत्यधिक व्यापक और गहरा है और इसका प्रभाव ना केवल भारतीय समाज बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि गीता में जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े प्रश्नों का उत्तर मिलता है। चाहे व्यक्ति का उद्देश्य, कर्तव्य, जीवन की दिशा या आत्म-ज्ञान हो, गीता हर सवाल का मार्गदर्शन करती है। इसीलिए गीता के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए 51 दिवसीय गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
वही उपस्थित लोगों को जल, पर्यावरण, स्वच्छता एवं नशा मुक्त भारत की शपथ दिलाते हुए रमेश सैनी ने कहा कि आज युवा पीढ़ी को इन मुद्दों को लेकर गंभीरता से सोचने व इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है तथा उसके लिए जरूरी है कि शिक्षण संस्थानों में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे। इस अवसर पर महाबीर प्रसाद सुईवाल, प्रवीण सैनी, मीना देवी, प्रेम देवी,

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