Religious and Culture

नंदीशाला में आए नंदियों का हो रहा अच्छा रखरखाव-दीपक गर्ग

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सुरेंद्र गोयल पंचकूला ।

सुरेंद्र नंदी गौसेवा सदन पंचकूला की एक बैठक प्रधान दीपक गर्ग की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में नंदियों के रखरखाव के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में साइन वाइजप्सिडेंट , महासचिव सुरेंद्र गयल कोषाध्यक्ष दीपक शर्मा, राजेश शर्मा, अमित गोयल, नितेश मित्तल, मेघराज गोयल नहीं बैठक में भाग लिया दीपक गर्गर्ने बताया कि नंदीशाला में नगर निगम द्वारा छोड़े गए नंदियों का अच्छे ढंग से रखरखाव किया जा रहा है। हम लगातार नगर निगम के साथ सहयोग करके नंदियों को ले रहे हैं। उन्होंने नगर निगम से भी सहयोग की अपील की है। दीपक गर्ग ने कहा कि नंदीशाला नंदियों (बैल) को संरक्षित किया गया है, ठीक वैसे ही जैसे गौशाला में गायों का पालन-पोषण होता है। यह भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और कृषि व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हिंदू धर्म में नंदी (बैल) भगवान शिव का वाहन और भक्त माना जाता है, इसलिए नंदी की देखभाल को पुण्य कार्य माना जाता है। कई मंदिरों में नंदी की मूर्ति स्थापित होती है, और नंदीशाला का संचालन धार्मिक श्रद्धा से किया जाता है। सुरेंद्र गोयल ने बताया कि आगामी 30 मार्च को नूतन नववर्ष पर हवन करवाया जाएगा और भजन व् लंगर का आयोजन भी किया जाएगा दीपक शर्मा ने बताया कि भारतीय कृषि में बैल पारंपरिक रूप से खेत जोतने, गाड़ी खींचने और अन्य कृषि कार्यों में उपयोगी रहे हैं। आधुनिक युग में जब बैलों का उपयोग कम हो रहा है, तब नंदीशाला उनके संरक्षण का महत्वपूर्ण केंद्र बनती जा रही है। नंदीशालाओं से ग्रामीणों को रोजगार मिलता है और वे गोबर से खाद, कंडे, बायोगैस, और अन्य जैविक उत्पाद तैयार कर सकते हैं। नंदीशाला चलाना दया, करुणा और जीवों के प्रति प्रेम का संदेश देता है। यह समाज में पशु कल्याण की भावना को प्रोत्साहित करता है। नंदीशाला केवल बैलों के रहने का स्थान ही नहीं, बल्कि यह धार्मिक, कृषि, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह जैविक कृषि को बढ़ावा देने, पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने और भारतीय परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का कार्य करती है।

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