हरियाणा में फुट रोट रोग की रोकथाम के लिए राज्य हाई अलर्ट पर
सरकार ने निवारक उपायों पर परामर्श जारी किया
पड़ोसी हिमाचल प्रदेश में भी पशुओं पर इस बीमारी का असर पड़ा है; हरियाणा में कोई मामला नहीं
चंडीगढ़, 11 अक्टूबर: हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और राज्य में फुट रॉट रोग के किसी भी संभावित प्रकोप को रोकने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो वर्तमान में पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भेड़ और बकरियों को प्रभावित कर रहा है।
राज्य सरकार ने आज एक परामर्श जारी कर स्थिति तथा राज्य में लागू किए जा रहे निवारक उपायों के बारे में जानकारी दी।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि हालांकि हरियाणा में अभी तक इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन विभाग पशुओं को फुट रॉट बीमारी से बचाने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। इस बीमारी से प्रभावित पशुओं के खुर खराब हो जाते हैं, जिससे उनकी गतिशीलता पर बुरा असर पड़ता है और चरवाहों तथा किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो सकता है। फिलहाल इस बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है और केवल सख्त जैव सुरक्षा उपायों से ही इसके प्रसार को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
विभाग ने विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में अधिक सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं। उप निदेशकों को राज्य भर के सभी सरकारी पशु चिकित्सा अस्पतालों (जीवीएच) और सरकारी पशु चिकित्सा औषधालयों (जीवीडी) में पोटेशियम परमैंगनेट (केएमएनओ4), हाइड्रोजन पेरोक्साइड और पोविडोन आयोडीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
विभाग ने चरवाहों और किसानों को सलाह दी कि वे अपने पशुओं में लंगड़ापन, सड़न या खुरों में असामान्यता के लक्षणों के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करके सतर्क रहें। उन्होंने पशु घरों और चरागाहों में उचित स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और उचित संगरोध और स्वास्थ्य जांच के बिना नए जानवरों को झुंड में शामिल करने से बचने की सिफारिश की। किसानों को किसी भी संदिग्ध लक्षण की सूचना तुरंत अपने स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारी को देनी चाहिए और टोल-फ्री नंबर 1962 पर भी सहायता मांग सकते हैं।