ब्रेकिंग न्यूज़

हरियाणा की 2025-26 के लिए 3.14 लाख करोड़ रुपये की ऋण योजना का अनावरण*

*ऋण लक्ष्य हासिल करने में बैंकिंग क्षेत्र सक्रिय भूमिका निभाएगा: मुख्य सचिव*

 

 

 

 

चंडीगढ़, 30 जनवरी- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वर्ष 2025-26 के लिए हरियाणा में प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत 3.14 लाख करोड़ रुपये की ऋण क्षमता का आकलन किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 37.64% की वृद्धि को दर्शाता है। कृषि, एमएसएमई और शिक्षा तथा नवीकरणीय ऊर्जा सहित अन्य प्राथमिकता क्षेत्रों के तहत ऋण क्षमता की हिस्सेदारी क्रमशः 35.60%, 57.12% और 7.28% है। नाबार्ड के राज्य फोकस पेपर (एसएफपी) को आज हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने राज्य ऋण संगोष्ठी 2025-26 के दौरान जारी किया।

 

इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य सचिव ने राज्य के कृषि, एमएसएमई, निर्यात, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा आदि के अंतर्गत ऋण क्षमता का आकलन करने के लिए नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की, जो फसल विविधीकरण, जलवायु-अनुकूल कृषि, झींगा पालन और सब्जी क्लस्टरों को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए किसानों के कल्याण और ग्रामीण विकास के लिए सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने बैंकों, सरकारी विभागों, नाबार्ड, एसएलबीसी, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य सभी हितधारकों से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए समन्वित प्रयासों को समन्वित करने का आग्रह किया।

 

उन्होंने कहा कि राज्य फोकस पेपर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस वर्ष की जाने वाली गतिविधियों के लिए एक बेंचमार्क और मार्गदर्शक शक्ति के रूप में कार्य करेगा। “हरियाणा हमेशा से कृषि के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, जिसने भारत की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमारे किसानों ने अपने अथक प्रयासों से हरियाणा को ‘भारत की अन्न की टोकरी’ बना दिया है। हालांकि, हमें घटते भूजल, खंडित भूमि जोत, एमएसएमई क्षेत्र की वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए, जिनके लिए तत्काल और अभिनव समाधान की आवश्यकता है,” डॉ जोशी ने कहा।

 

फसल ऋण की वृद्धि को बनाए रखने के लिए, कृषि उत्पादकता में वृद्धि, फसल विविधीकरण, केसीसी के माध्यम से सभी पात्र किसानों को शामिल करना, विस्तारित केसीसी योजना का अक्षरशः उचित कार्यान्वयन, पीएमएफबीवाई के तहत किसानों को शामिल करना, जैविक खेती आदि के माध्यम से कम भूमि से अधिक उत्पादन और प्रति बूंद अधिक फसल प्राप्त करने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। सामूहिक प्रयासों और उपज के एकत्रीकरण के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। अधिक विविधीकरण पर जोर देते हुए एकीकृत कृषि प्रणालियों को लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए। डॉ. जोशी ने मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों की तरह ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से केसीसी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का आह्वान किया।

 

पैक्स के संचालन में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए, केंद्र सरकार ने पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना शुरू की है जिसमें नाबार्ड राष्ट्रीय कार्यान्वयन इकाई है और हमारे राज्य में, 710 पैक्स को इस योजना के तहत कवर किया जा रहा है। इसी तरह, नाबार्ड एचएससीएआरडीबी और 19 डीपीसीएआरडीबी सहित कृषि ग्रामीण विकास बैंकों के लिए डिजिटलीकरण परियोजना को भी लागू कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की एम-पैक्स योजना को आगे बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्य सचिव ने हरियाणा में कृषि विकास, ग्रामीण विकास और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई के प्रयासों की भी सराहना की।

 

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार नाबार्ड के विजन के साथ पूरी तरह से जुड़ी हुई है। मुख्य सचिव ने कहा, “हम ऋण और बाजारों तक पहुंच बढ़ाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं, वित्तीय साक्षरता अभियानों और डिजिटल पहलों जैसे कार्यक्रमों को सक्रिय रूप से लागू कर रहे हैं। मैं बैंकिंग क्षेत्र से आग्रह करता हूं कि वे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए निर्धारित ऋण लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्रिय भूमिका निभाएं और यह सुनिश्चित करें कि वंचित क्षेत्र और समुदाय पीछे न छूट जाएं।”

 

मुख्य महाप्रबंधक श्रीमती निवेदिता तिवारी ने हरियाणा के सभी 22 जिलों के लिए संभावित ऋण लिंक्ड योजनाओं में काम की गई क्षमता को आत्मसात करके राज्य की 3.14 लाख करोड़ रुपये की ऋण क्षमता तक पहुंचने के लिए परामर्श प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने नाबार्ड द्वारा सभी 22 जिलों के लिए तैयार की गई ऋण क्षमता को अग्रणी बैंकों द्वारा तैयार जिला ऋण योजना के साथ जोड़ने की आवश्यकता की सराहना की। उन्होंने हरियाणा के कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और किसानों और ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने वाले स्थायी समाधानों को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन विकासात्मक पहलों, विशेष रूप से प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) के कम्प्यूटरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल एटीएम और बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) के विस्तार के लिए केंद्रीय है, ताकि डिजिटल साक्षरता और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ाई जा सके।

 

इसके बाद मुख्य सचिव ने नाबार्ड द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकों, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राज्य के शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

 

Related Articles

Back to top button