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हिमालय परिवार ने मनाया संकल्प स्मरण दिवस, सीएम के मांगपत्र सौंपकर याद दिलाया संकल्प

62 वर्षो बाद भी चीन से भारत की भूमि वापिस लेने के संसद के संकल्प पर नहीं लिया संज्ञान : मीनाक्षी परमार

भिवानी, 14 नवंबर : वर्ष 1962 के भारत-चीन के युद्ध में चीन द्वारा हारने के बावजूद भी भारत की भूमि पर कब्जा कर लिया गया था। भारत की भूमि को मुक्त करवाने के लिए 14 नवंबर 1962 को संसद के दोनों सदनों द्वारा संकल्प लिया गया था, किंतु 62 वर्षो बाद भी अभी तक सुनियोजित तरीके से विचार नहीं किया गया। संसद के इस संकल्प को याद दिलाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं हिमालय परिवार के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में हिमालय परिवार की सभी ईकाईयों द्वारा 14 नवंबर को संकल्प स्मरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में वीरवार को हिमालय परिवार के जिला सदस्यों द्वारा संकल्प स्मरण दिवस मनाया गया तथा उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम मांगपत्र सौंपा।
उपायुक्त को मांगपत्र सौंपते हुए हिमालय परिवार की जिला अध्यक्ष मीनाक्षी परमार ने कहा कि 14 नवंबर 1962 को संसद में चीन से हमारी भूमि मुक्त करवाने का प्रस्ताव पारित हुआ था। जिसमें कहा गया था कि संसद आशा और विश्वास के साथ यह प्रतिज्ञा करती है कि पवित्र भूमि से हम आक्रमणकारियों को खदेडक़र ही दम लेंगे, लेकिन अभी तक भारत के भू-भाग को दुश्मन देशों से मुक्त नहीं करवाया गया है। इसीलिए इस प्रस्ताव को स्मरण करवाने के लिए हिमालय परिवार द्वारा हर वर्ष 14 नवंबर को संकल्प स्मरण दिवस मनाया जाता है।
इस मौके पर हिमालय परिवार के सदस्य अजय सिंह ने कहा कि चीन द्वारा भारत की कब्जाई गई जमीन वापिस लेने के लिए संकल्प स्मरण दिवस के तहत जागरूकता का संदेश देते हुए अभियान, संगोष्ठियां कर व लोकसभा व राज्यसभा के सभी सांसदों को उनका कर्तव्य याद दिलाने का संकल्प लिया गया है। उन्होंने कहा कि संकल्प पत्र की पालना करते हुए भारत को अपनी जमीन का एक-एक ईंच वापिस लेना चाहिए तथा भारत-चीन के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों व देश के प्रत्येक नागरिक के साथ न्याय करना चाहिए। इस अवसर पर रोहित, अजय, सचिन, वंश चौहान, विष्णु परमार, मोहित चौहान आदि मौजूद रहे।

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