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हनुमान जोहड़ी मंदिर के विवेकानंद सभागार से हुआ गीता की पुस्तकों का वितरण शुरू

विभिन्न शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थानों में बच्चों में होगा पांच हजार की गीता पुस्तकों का वितरण : चरणदास

भिवानी, 30 दिसंबर : आगामी 11 दिसंबर को मनाए जाने वाले गीता जयंती महोत्सव के तहत स्थानीय हनुमान ढ़ाणी स्थित हनुमान जोहड़ी मंदिर में युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा 51 दिवसीय गीता जयंती कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिनके तहत विभिन्न स्थानों पर जाकर लोगों को गीता जयंती महोत्सव एवं जीवन में गीता जी के महत्व से रूबरू करवाया जा रहा है। इसी कड़ी में अब हनुमान जोहड़ी मंदिर के महंत बालयोगी चरणदास महाराज के सान्निध्य में विभिन्न शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों पर बच्चों को गीता की पुस्तकें वितरित करने का अभियान चलाया है, जिसके तहत गीता की पांच हजार पुस्तकों का वितरण किया जाएगा। जिसकी शुरूआत हनुमान जोहडी मंदिर में स्थित स्वामी विवेकानंद सभागार में योग साधकों को गीता की पुस्तकें भेंट करने से हुई। इस बारे में जानकारी देते हुए बालयोगी महंत चरणदास महाराज ने कहा कि जीयो गीता के संस्थापक गीता मनीष ज्ञानानंद महाराज द्वारा उन्हे गीता की अष्टदश श£ोकी पुस्तकों की पांच हजार प्रतियां भेंट कर विभिन्न स्कूलों में वितरित करने के आदेश दिए थे। जिसमें गीता के 18 मुख्य श£ोक है। इसके अलावा इस पुस्तक में वे तीन श£ोक भी अंकित है, जो कि गीता जयंती महोत्सव पर 11 दिसंबर को 11 बजे एक साथ उच्चारित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य  अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक गीता जी के महत्व को पहुंचाना है। चरणदास महाराज ने कहा कि गीता व्यक्ति को बिना फल की चिंता किए अपने कर्तव्यों का पालन करना सिखाती है तथा विद्यार्थी जीवन में यह सिद्धांत परीक्षा और परिणाम की चिंता छोडकऱ अध्ययन पर ध्यान केंद्रित कर सफलता पाने का मार्ग खोलता है। इसीलिए विद्यार्थियों के लिए गीता जी के संदेशों को अपनाना बहुत आवश्यक है। इस मौके पर समाजसेवी रमेश सैनी व पर्यावरण प्रहरी विजय सिंहमार ने कहा कि गीता नैतिकता और ईमानदारी का पाठ पढ़ाती है तथा विद्यार्थियों को ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और संयम जैसे गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। जो कि उनके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते है। इस अवसर पर मनोज तिगड़ाना, डा. ओमबीर कौशिक, योगाचाय्र विक्रम कांगड़ा, आशुतोष, उमेश सैनी, मोनिया सैनी सहित अनेक बच्चें भी मौजूद रहे।

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