आशा वर्कर्स ने किया बिजली मंत्री आवास पर रोष प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन
Asha workers protested at the power minister's residence, submitted a memorandum
राजेंद्र कुमार
सिरसा। विभिन्न मांगों को लेकर जिलेभर की आशा वर्कर्स पिछले 19 दिनों से लघु सचिवालय में धरनारत्त हंै। शनिवार को धरनारत आशा वर्कर्स उपायुक्त कार्यालय से लेकर प्रदर्शन करते हुए बिजली मंत्री रणजीत सिंह के आवास के बाहर पहुंची और रोष का इजहार किया। कर्मचारियों ने मंत्री के प्रतिनिधि को एक ज्ञापन भी सौंपा।
धरने की अध्यक्षता करते हुए जिला प्रधान दर्शना व कलावती माखोसरानी ने बताया कि सरकार की ओर आशाओं का मानदेय 2018 के बाद से नहीं बढ़ाया गया है, जबकि उनका काम पांच गुना बढ़ा दिया गया है। उन्होंने सांसदों, मंत्रियों व विधायकों के साल में बढ़ाए जाने वाले वेतन को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। जब इतना काम करने के बाद भी उन्हें मूल वेतन नहीं दिया जा रहा, जबकि सांसदों, मंत्रियों व विधायकों के वेतन में अकारण बढ़ोतरी की निंदा की। क्योंकि उन्हें पहले से ही स ाी वेतन, भत्त्ते व खर्चे मिलते हंै तो फिर वेतन किस नाम का। वेतन न बढ़ाने व काम के अधिक बोझ के कारण आशाओं को दोहरी परेशानी झेलनी पड़ रही है। सरकार की इस बेरूखी के कारण आशाओं में बहुत ज्यादा रोष है।
यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार बार-बार कहती है कि हड़ताल से आम जनता को कोई नुकसान नहीं हो रहा है, जबकि जब से आशा वर्कर हड़ताल पर आई हैं, उसके बाद होम डिलीवरी व शिशु मृत्यु और स्टील बर्थ की सं या लगातार बढ़ रही है। जोकि चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ 28 अगस्त को पंचकूला विधानसभा क्षेत्र का घेराव भी किया जाएगा। अगर इसके बावजूद भी सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो हड़ताल को आगे बढ़ाया जा सकता है। इस दौरान जो भी जनहित में नुकसान होगा, उसके जि मेदार सरकार व अधिकारी होंगे। मंच का संचालन शिमला व सुलोचना ने किया।
इस मौके पर उषा, परवीन, पिंकी, मीनाक्षी, गीता, सुमन, रेखा, रोशनी सहित जिलेभर की आशाओं ने रोष मार्च में भाग लिया। उनक ी मागों में मुख्यत:आशा वर्कर का न्यूनतम वेतन 26 हजार रूपए किया जाए। आशा वर्कर को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, आशा वर्कर की रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष की जाए।