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संस्कृति और प्रकृति ही जीने का आधार हैं: हनुमान कौशिक

भिवानी, 27 अक्तूबर। आज का युवा पाश्चात्य सभ्यता की गिरफ्त में आता जा रहा है। जिसके कारण हमारी संस्कृति दिन प्रतिदिन लुप्त होती जा रही है। इसको बचाए रखना हम बड़ों व बुजुर्गों की जिम्मेवारी है। यह बात म्हारी संस्कृति म्हारा स्वाभिमान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान कौशिक ने बवानीखेड़ा में माता के जागरण में उपस्थित श्रद्धालुओं व जागरण आयोजकों को संबोधित करते हुए कही। कौशिक ने कहा कि प्रकृति का शाश्वत नियम है रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आने का। ठीक उसी तरह जब-जब मानव अपने धर्म-कर्म मर्यादाओं से गीर जाता है तब-तब कोई न कोई प्रकाश की किरण ऊपर से नीचे उतरती है जो दिखा जाती है जीवन का यथार्थ मार्ग। कोई न कोई पैगंबर महापुरुष अवतार या मसीहा सहारा दे जाता है समाज को। ठीक इसी प्रकार एक महान विभूति हरियाणा के सेरसा जाटी गांव में पंडित उदमीराम के घर जन्मे पंडित लख्मीचंद ने अपनी लेखनी से भूत-भविष्य-वर्तमान का वर्णन अपने गायन शैली से बतलाया है। जिनमें मनोरंजन के साथ संस्कारों से ओत-प्रोत कविताएं समाज को आने वाली पीढ़ियों के लिए अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए मार्गदर्शक के रूप में रखी गई हैं। जागरण में उपस्थित विधायक कपूर सिंह वाल्मीकि व भाजपा नेता सुन्दर अत्री पंडित लख्मीचंद ग्रंथावली हनुमान कौशिक द्वारा भेंट की गई। विधायक ने आश्वासन दिलाया कि अपनी संस्कृति की पहचान के लिए हम ज्यादा से ज्यादा युवाओं को प्रेरित करेंगे ताकि प्राचीन संस्कृति और सभ्यता का अधिक से अधिक प्रचार और प्रसार हो सके। इस अवसर पर सुरेश शर्मा, योगेश भारद्वाज, राजेश थुरानिया, श्रीभगवान, कपिंद्र शर्मा लाखनमाजरा, धर्मवीर नागर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति व श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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