सरकारी नौकरी छोड़ उतरे भपंग की विरासत बचाने उतरे “अलवर के यूसुफ, यूसुफ ने कलाग्राम में छेड़े भपंग के तार तो थिरक उठा “चंडीगढ़”
20 देशों में बजी भपंग
मार्क जुकरबर्ग के सामने भपंग बजी तो कायल हो गए —
अंतराष्ट्रीय कलाकार
दादा जहूर व पिता उमर ने 4 साल की उम्र में पकड़ा दी विरासत की डोर सरकारी नौकरी छोड़ चुनी भपंग –
20 देशों में युसूफ ने बजाई भपंग
– विशेष रिपोर्ट. कल्पना वशिष्ठ l
-अंतरराष्ट्रीय कलाकार यूसुफ खान ने जब चंडीगढ़ के कलाग्राम में भपंग के तार छेड़े तो पूरा जनमानस नाचने को मजबूर हो गया। वैसे भी राजस्थान के सिंहद्वार अलवर की भपंग का नाम सुनते ही पैर थिरकने लगते हैं. एक तार के इस वाधयंत्र में वो धमक, छमक, थाप, सात सुर ऐसे छिपे हैं कि इसके बजते ही आधुनिक वाधयंत्र काँपने लगते हैं. इस कला को जिन्दा रखा है, अंतरराष्ट्रीय कलाकार जहूर खान के परिवार ने जो 98 देशों, बॉलीवुड की फिल्मों में भपंग बजा चुके. राष्ट्रीय पुरुस्कार जीते. उनके बाद बेटे उमर फारुख व अब पोते युसूफ देश विदेश में धूम मचा रहे हैं. मुंगास्का अलवर में विश्व विख्यात भपंग वादक स्वर्गीय जहूर खान मेवाती के पोते के रूप में तथा स्वर्गीय उमर फारुख मेवाती के पुत्र के रूप में मुस्लिम जोगी परिवार के युसूफ भपंग के मँझे कलाकार हैं। भपंग वादन कला विरासत में मिली. अपने दादा गुरु स्वर्गीय जहूर खान मेवाती से शिक्षा प्राप्त की थी।
राजस्थान में मुस्लिम जोगी परिवार का गाना बजाना पुश्तैनी पेशा है. युसूफ खान के परदादा कवंरनाथ जोगिया सारंगी तथा दादा के भाई शकूर खा एवं हुसैना नाथ जोगिया सारंगी एवं चिकारा के देश में अच्छे बजवैया थे.
युसूफ खान को 4 साल की उम्र में पिता उमर फारूक ने भपंग बना कर दी थी, पिता के साथ भपंग वादन किया. 2003 से स्वतंत्र कलाकार के रूप में पहचान सिविल इंजीनियर युसूफ खान ने अपनी कला में नए मुकाम बनाएं. विश्व के कई देशों में स्विट्जरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, जर्मनी, बेल्जियम करीब 20 देशों में भपंग वादन का परचम लहराया ।
युसूफ खान शिवजी के उपासक हैं, शिवरात्रि पर शिव स्तुति करते हैं. युसूफ खान ने कई कार्यक्रम सरकारी ऐसे किए हैं जिसमें रामायण, महाभारत, कृष्ण लीला को मंच पर प्रस्तुत किया है. समाज नई पीढ़ी को इस तरह की शिक्षा प्राप्त की गई है, उन्हें अपना पुराना इतिहास बताया गया है.
युसूफ खान अपनी पुश्तैनी कला मेवाती भाषा में रामायण महाभारत कृष्ण लीला गाते हैं जो कि पुराने काल में उनके दादाजी पूरी रात भर अपने समाज अपने जजमान के वहां भपंग वादन के साथ गाते थे.
युसूफ खान ने इला अरुण के साथ कई प्रोग्राम किये । रेडियो दूरदर्शन के साथ रमा पांडे के धारावाहिक जानो अपना देश एवं सुनो कहानी लोग यात्रा कार्यक्रम में भी भपंग वादन किया। इंडियाज गॉट टैलेंट खोज टू 2010 में सेमीफाइनल में सोनाली बेंद्रे किरण खेर साजिद खान आयुष्मान के समक्ष भपंग वादन प्रस्तुत किया । 10 अक्टूबर 2014 को फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के सामने अलवर के ग्राम चांदोली में भपंग वादन प्रस्तुत किया। भारत के कोने कोने में अपने पिता अपने दादा के साथ एवं स्वतंत्रता रूप से भपंग वादन की प्रस्तुति दी है।
युसूफ खान ने बताया की दादाजी ने 98 देशों में भपंग वादन किया. हिंदी फिल्म आंखें, गंगा जमुना, नया दौर सन ऑफ इंडिया न्यू दिल्ली में भपंग वादन किया था दादा जी को सन 1993 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था । पिताजी स्वर्गीय उमर फारुख मेवाती 1993 में सरकारी नौकर थे लेकिन नौकरी छोड़कर भपंग वादन को पेशा चुना । पिताजी भी 44 देशों में और हिंदी फिल्म मीनाक्षी 2003 अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों में 2004 में भपंग वादन किया। पिताजी को भी 2007 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
मैंने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 20 देशों में भपंग वादन किया है. आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर भी कार्यक्रम कर चुका हूं भपंग कला के साथ सिविल इंजीनियर की पढ़ाई की है मगर विरासत को बचाने के लिए भपंग वादन को अपना पेशा चुना है ताकि उनकी विरासत आगे तक बढ़े और मेरा प्रयास है कि भपंग वादन की कला को नए आयाम मिले ।
मुझे भी राजस्थान सरकार द्वारा 15 अगस्त 2018 को स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया है
क्या है भपंग ? भपंग वादन ? पूर्वी राजस्थान तथा मेवात अंचल में मुस्लिम जोगी जाति द्वारा शिवरात्रि पर शिव आराधना में शिवालयों में बजाया जाता है, भपंग एक तंतु लय प्रदान लोक वाद्य है भपंग की उत्पत्ति शिवजी के डमरू से मानी जाती है,भपंग के एक तरफ चमड़ा मढ़ा जाता है, चमड़े के बीच में छेद कर तार डाल दिया जाता है दूसरी तरफ लकड़ी के गुटके में छेद कर तार के दूसरे छोर में गुटका पिरोकर कर बांध दिया जाता है, बगल में दबाकर वादक दूसरे हाथ में लकड़ी की किलडि से तार पर प्रहार करने से लयात्मक भपंग वादन होता है. गाने खुद बनाते है जो लोक संस्कृति से ओतप्रोत होते हैं. |
सम्मान
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