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सीधी सी बात :धान तो सरकार ने खरीद लिया मुनाफा व्यपारी खावैगा , पराली नैं के सर पै धार के नाचै किसान

पराली जलाने पर 336 किसानों की रेड एंट्रीकरते हुए 42 किसानों का चालान किया गया है

पराली की समस्या वाक्य में गंभीर है जिस का निपटारा होना ही चाहिए जब हम आज़ाद हुए तो देश के सामने अन्न की समस्या मुंह बाये खड़ी थी जब पेट भूखा था तो प्रदूषण किसी को नहीं दिख रहा था लाज किसान ने अपनी पूरी ताकत जहां कर देश कस पेट भरने का काम किया है तो केंद्र व् राज्य सरकारों ने अन्न उत्पादन बढ़ाने के लिए तरह तरह के प्रलोभन किसान को दिए जिन में न्यूनत्तम समर्थन मूल्य परकिसान की फसल खरीदने के अतिरिक्त कृषि यंत्रों पर विभिन्न प्रकार की सब्सिडियां, मंडियों का निर्माण और उनमे दी जाने वाली सुविधाओं पर जोर लगाया l परिणाम स्वरूप आज देश अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है l लेकि इस एटीएम आत्मनिर्भरता से निकले गेंहूं दानव के गेंहूं के फांस व् धान की पराली ने समाज को झकझोर कर रख दिया है किसान नैं तो धान पैदा ए करया, खाया बी कोणी फेर इसकी सजा अकेले किसान को क्यों ? बतादें कि अभी तक हरियाणा में पराली जलाने पर 336 किसानों की रेड एंट्रीकरते हुए 42 किसानों का चालान किया गया है जो 2 सीजन मंडियों में अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे l अब समस्या अकेले किसान की बनती दिख रही है सरकारों ने इस और से पल्ला झाड़ लिया है सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किसनों के प्रति रहम वाला नहीं हैLसभी सरकारों व् सुप्रीम कोर्ट को मिलकर इस समस्या का सर्वमान्य हल निकालना चाहिए लेकिन को इस समस्या से निपटने के लिए किसान को अकेला छोड़ दिया गया और दण्डित किया गया तो इसका असर देश के अन्न उत्पादन पर पड़ना लजिमी है l

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