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सीधी सी बात कोए ऐंडी सै तो रहे जावैगा, भगवान थोड़ी सै! बंदर सैं सब ,इन म्हैं कोए हनुमान थोड़ी सै!!

कोए ऐंडी सै तो रही जावैगा, भगवान थोड़ी सै
आज दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को अखिल भारतीय साहित्य परिषद की भिवानी इकाई द्वारा आदि कवि महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन हनुमान गेट स्थित भारत शिक्षा सदन के प्रांगण में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद की  भिवानी इकाई के अध्यक्ष डॉ महेंद्र सिंह सागर और ज्ञानेंद्र सिंह तेवतिया ने की । मुख्य अतिथि के रूप में डॉ ए वी शर्मा तथा डॉ अलका शर्मा ने कार्यक्रम की गरीमा में वृद्धि की।गोष्ठी का संचालन विनोद आचार्य ने किया।कार्यक्रम का आरंभ मां वाणी के चरणों में दीप प्रज्वलन व महर्षि वाल्मीकि के चरणों में पुष्पांजलि के साथ हुआ।काव्य गोष्ठी का आरंभ सुमधुर गीतकार डॉ विकास यशकीर्ति द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। दादरी से पधारी पुष्पलता आर्य ने अपने मधुर कंठ से भगवान कृष्ण को याद करते हुए कहा, “छा गया है घना तिमिर केशव / धमनियों में जमा रुधिर केशव”।

 

हरियाणवी हास्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ वी एम बैचेन की रचना ,”कोए ऐंडी सै तो रही जावैगा, भगवान थोड़ी सै, सब बंदर सै, कोए हनुमान थोड़ी सै” के द्वारा सब को आह्लादित किया।

 

युवा शायर विकास नसीब की ग़ज़लों में एक प्रेमी दिल का दर्द कुछ यूं झलका ,”ज़ख्मी शायर के वजीफे/नसीब इश्क से लिए है मैने”। अनिल शर्मा वत्स के हरियाणवी गीत, “पी कै जहर खामेखा का बिन मौत नहीं मारना था/ बदनामी तै डर लागै तो प्यार नहीं तो करना था” से युवाओं को  एक सार्थक संदेश दिया है।

 

ओज के युवा हस्ताक्षर विकास कायत ने देशभक्ति से ओत- प्रोत कवित से सभा में जोश भर दिया।उन्होंने कहा, राष्ट्र भक्ति के नारों से भीतों को लिप्त कर दो / देश मेरे को सशक्त करो चाहे मुझे शाहिद कर दो”। रोहतक से पधारे कवि धर्मवीर खरकिया ‘मुसाफिर‘ ने कविता की शक्ति को बताते हुए कहा है कि,” कविता वह है जो कायर में प्राणों का संचार करें / राष्ट्रीय यज्ञ में समिधा हेतु जन-जन को तैयार करें।” डॉ महेश कौशिक ने अपनी कविता के माध्यम से खुद की खुदाई को याद करते हुए कहा है,”वही चांद तारे वही आसमां है / खुदा की खुदाई छुपती कहां है”। युवा कवि कपिल शर्मा ‘ सनातनी’ ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी मिट्टी और संस्कारों की बात कुछ यूं की है,” इस मिट्टी के ढांचे के अंदर बसते चारों धाम है / केशव रहते इस बुद्धि में, हृदय बसते श्री राम है”। कवि अशोक तिगड़ी ने अपनी कविताओं के माध्यम से पेड़ों के महत्व पर प्रकाश डाला। उसकी रचनाओं ने पर्यावरण बचाओ का सुंदर संदेश दियाऔर हमें पेड़ लगाने की प्रेरणा दी।विख्यात गीतकार विकास यशकीर्ति ने नारी मन की संवेदनाओं के अपने गीत “बिगड़ना भी नहीं देते संवारने भी नहीं देते/ वह मुझको तोड़ता है पर बिखरने की नहीं देते” से गोष्ठी को शिखर तक पहुंचा दिया। कभी विजेंद्र सिंह परिहार ने अपनी रचना के माध्यम से वर्तमान समय की कुरीतियों और विषमक्तियों पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा,” कैसा जमाना आया है भाई को भाई नहीं भाया है / जब भाई मुस्कुराया है तो भाई ने भाई पर तीर चलाया है”। इकाई अध्यक्ष डॉ महेंद्र सिंह सागर ने महर्षि वाल्मीकि के जीवन से प्रेरणा ले साथ रचना करने व समाज का मार्ग दर्शन करने की बात कही।कार्यक्रम अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह तेवतिया ने भी वाल्मीकि जयंती पर सब को बधाई दी और उन के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।

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