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साधु संतों, वक्ताओं ने कहा, सनातन संस्कृति को जेहादी प्रहारों से बचाना होगा

चेतना' का 71वां व्याख्यान समारोह आयोजित,हिंदू जागृति के कार्यक्रमों की आज सर्वाधिक आवश्यकता

 

ईश्वर धामू

नई दिल्ली। दिल्ली की जागृत सामाजिक संस्था ‘चेतना’ ने अपना 71वां व्याख्यान समारोह आयोजित किया।
रोहिणी में लाला स्व. राधेश्याम गोयल की स्मृति में आयोजित इस व्याख्यान समारोह में साधु संतों एवं वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। चेतना के अध्यक्ष राजेश चेतन ने इस कार्यक्रम की महत्ता और आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में सनातन धर्म संस्कृति पर जिस प्रकार से इस्लामी जेहादी प्रहार हो रहे हैं, तब भागवत एवं राम कथाओं के स्थान पर हिंदू जागृति के ऐसे कार्यक्रमों की बड़ी आवश्यकता है।
आंध्र प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी सुनील विश्वनाथ देवधर ने भारत के क्रूर इस्लामिक मुगलकालीन इतिहास के उदाहरण देते हुए समझाया कि हिंदुओं को जातियों – वर्णों में न बंट कर देशहित में एकजुट होना होगा। सुनील विश्वनाथ ने इस कार्यक्रम के माध्यम से हिन्दू समाज को चेताया कि अगर हिंदू संगठित नहीं हुए तो उनकी संतान, परिवार, समाज और अंततः हिंदुस्तान नामक उनका देश जिहादियों की भेंट चढ़ जाएगा। जहां महिलाएं स्वतंत्रतापूर्वक सिर उठाकर कहीं आ-जा नहीं पाएंगी और न ही हिंदू नाच गा और हंस कर अपने पर्व त्योहार बना पायेंगे।
‘राम राज्य और राष्ट्रवाद’ नामक इस व्याख्यान माला को और भी अधिक प्रासंगिक बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता और भारत के ‘पीआईएल मैन’ के नाम से प्रसिद्ध अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि हिंदू बंटेगा तो कटेगा। यह सही कैसे है, मैं समझता हूं- उन्होंने कहा कि वर्तमान विपक्षी पार्टियां खुलकर मुसलमानों के हित में काम कर रही हैं। हिंदुओं का आरक्षण खुले आम मुसलमानों को दिया जा रहा हैं। देश के तटवर्ती इलाकों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गये हैं। ऐसे में केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी ही एक मात्र ऐसा राजनीतिक दल बचा हैं जो हिंदुओं और सनातन संस्कृति को बचाने का प्रयास कर रहा है। समारोह में मुख्यवक्ता गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज भी चेतना के सामाजिक और राष्ट्रीय सरोकार वाले आयोजनों की महत्ता को कथा-कीर्तनों से अधिक उपयोगी बताया। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान हिंदू समाज को गीता के अनुरूप आचरण करना ही होगा, अन्यथा गीता, गंगा, गायत्री और गौमाता कुछ भी नहीं बचेगा। ‘राम राज्य और राष्ट्रवाद’ कार्यक्रम में काव्यपाठ करते हुए राष्ट्रवाद एवं राष्ट्र जागरण पर केंद्रित अपनी नवीनतम कविता प्रस्तुत की-
“वैष्णव जन को नहीं छोड़ा और ना ही रघुपति राजा राम को, जिसको देखो बेच रहा हैं बस बापू के नाम को”

इन पंक्तियों पर
सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
आयोजन में संगीत का भी कार्यक्रम रखा गया था। सुप्रसिद्ध भजन गायक स्वामी संजय प्रभाकरानंद ने तमिल, तेलुगु, उड़िया, गढ़वाली एवं हरियाणवी भाषाओं में राम जी के भजन गाए। उन्होंने भारत की विविध लोक भाषाओं में राम जी के भजन गा कर यह बताने का प्रयास किया कि भारत के कण कण में भगवान श्री राम संगीत के रूप में भी विराजमान हैं। कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलन टीवीआर के चेयरमैन त्रिलोकी नाथ गोयल एवं लाला महेंद्र बंसल ने किया। स्वर्गवासी लाला राधेश्याम गुप्ता प्रसिद्ध उद्योगपति, समाजसेवी एवं धर्म प्रेमी थे। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मीना गुप्ता अपने दोनों सुपुत्र विष्णु गुप्ता एवं अरूण गुप्ता के साथ उपस्थित थीं। चेतना के 71वें व्याख्यान समारोह को सफल बनाने में चेतना के राजकुमार अग्रवाल, एन आर जैन, दिनेश गुप्ता, जे एस गुप्ता, सतभूषण गोयल, अशोक बंसल, भारत भूषण अलाबादी का विशेष योगदान रहा।

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