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सांगी ने सांग के अंतिम दिन किया नौरत्न किसे का मंचन

बेटे का वरदान सुन रानी फूली नहीं समाई

भिवानी, 16 नवंबर। जिले के गांव मंढ़ाना के बाबा परमहंस हरिहर मेले में चल रहे चार दिवसीय सांग उत्सव अंतिम दिन सांगी वेद प्रकाश अत्री ने पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग नौरत्न सुनाकर सांग का समापन्न किया। यह सांग उत्सव हरियाणा कला परिषद रोहतक मंडल द्वारा आयोजित किया गया था। इससे पहले 13 व 14 नवंबर को राजस्थान से आये सांगी सुभाष प्रचारी ने अपनी प्रस्तुति दी थी।
सांगी वेद प्रकाश अत्री ने सांग के अंदर बताया सम्भल शहर में महाराज देवदत्त राज किया करते थे। राजा की तीन रानियों से उनको कोई भी संतान पैदा नहीं हुई। बाद में किसी की सलाह पर राजा ने संतान प्राप्ति हेतु अश्वमेघ यज्ञ करवाया। इसके फलस्वरूप बड़ी रानी कुलकंवर पुत्र को जन्म देती है। दोनो रानियां इष्र्यावश बड़ी रानी कुलकंवर के पुत्र को उठा कर संदूक में डालकर जंगल के बीच से बहती नदी में बहा आती है और शिशु के बदले उस रानी के पास एक तोता रख देती है। दोनों रानिया कुलकंवर रानी को कहती है कि उसने एक तोते को जन्म दिया है। रानी लाज के मारे जंगल में चली जाती है। भटकते हुई रानी एक ऋषि की कुटिया में पहुच कर आश्रम में रहकर सेवा करने लगती है। जब रानी बर्तन साफ करने के लिए नदी किनारे जाती है तो एक संदूक बहता हुआ सीधा रानी के पास आ जाता है रानी उसको खोलकर देखती है तो उसमें एक बच्चा मिलता है। रानी उस बच्चे को पहचान जाती है कि वह उसका राजकुमार है। बाद में रानी वहीं जीवन व्यतीत करने लगती है। तब राजकुमार का नाम नौरत्न रखा जाता है। जब नौरत्न 17 वर्ष का हो जाता है तो एक दिन संभल का सेठ मणिलाल धोखे से राजकुमार को अपने साथ चीन ले जाता है। वहा उसकी शादी राजा धर्म सिंह की पुत्री नौरत्न से हो जाती है। लौटते समय रास्ते में सेठ राजकुमार नौरत्न को समुद्र में धक्का दे देता है और लडक़ी को बंदी बना लेता है। नौरत्न तैरता हुआ किसी तरह से बचकर राजा देवदत्त के दरबार में पहुंच जाता है और राजा को आपबीती सुनाता है। बाद में राजा के आदेश पर नगर सेठ मणिलाल को पकड़ लिया जाता है। और राजकुमारी नौरत्न को उससे मुक्त करा लिया जाता है। इस दौरान रानी कुलकंवर भी कुटिया से दरबार में पहुंच जाती है। राजा उसे पहचान लेते हैं। उनका सारा परिवार दोबारा मिल जाता है।
इस सांग मे अनेको रोमांचित घटनाओ का वर्णन कर सांगी वेदप्रकाश अत्री ने आये हुये सभी दर्शकों क़ो मंत्र मुग्ध किया गांव व कमेटी ने इस आयोजन के लिये हरियाणा कला परिसद रोहतक मंडल व हरियाणा सरकार आभार जताते हुए कहा कि आगे भी समय समय पर सरकार ऐसे आयोजन करवाती रहेगी जिससे हमारी प्राचीन सांग संस्कृति को आज के युवा वर्ग को परिचित करवाया जाये। इस अवसर पर सूर्य कवि पं लख्मी चंद समिति बापोड़ा से मुकेश शर्मा, समिति प्रधान सतीश शर्मा, भोलू प्रधान, बजरंग मुनीम, गजा प्रधान, नरेश मैनेजर, हरि ओम कौशिक, संत कौशिक, सतीश सुई आदि मौजूद थे।

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