श्रीमद भागवत कोई साधारण पोथी नहीं है, यह साक्षात प्रभु का वांग्मय यानि वाणी का स्वरुप है: दिव्येश कुमार महाराज -श्री विशानागर वणिक (पारख) समाज की ओर से श्री गिरिराज धार्याष्टकम् गुणगान महोत्सव में निकली भव्य शोभायात्रा
श्रीमद भागवत कोई साधारण पोथी नहीं है, यह साक्षात प्रभु का वांग्मय यानि वाणी का स्वरुप है: दिव्येश कुमार महाराज -श्री विशानागर वणिक (पारख) समाज की ओर से श्री गिरिराज धार्याष्टकम् गुणगान महोत्सव में निकली भव्य शोभायात्रा
श्रीमद भागवत कोई साधारण पोथी नहीं है, यह साक्षात प्रभु का वांग्मय यानि वाणी का स्वरुप है: दिव्येश कुमार महाराज
-श्री विशानागर वणिक (पारख) समाज की ओर से श्री गिरिराज धार्याष्टकम् गुणगान महोत्सव में निकली भव्य शोभायात्रा
उदयपुर। वैष्णवाचार्य श्री दिव्येशकुमार महाराज ( इंदौर- नाथद्वारा) ने कहा कि जब तक हम सही स्वरुप में वल्लभ की वाणी का रसास्वादन नहीं करेंगे तब तक हम मूल धर्म विषयों से अछूत रहेंगे। केवल उपर के ज्ञान से कुछ प्राप्त नहीं होने वाला। कहते हैं जो डूबने के बाद तैर कर बाहर निकल आया वो जीत गया, लेकिन वल्लभ की कृपा प्राप्त करने के लिए तो हम कहते हैं कि जो डूबियो सो ही पायो।
श्री विशानागर वणिक (पारख) समाज की ओर से श्री गिरिराज धार्याष्टकम् गुणगान महोत्सव के पहले दिन वैष्णवाचार्य श्री दिव्येशकुमार महाराज ने वैष्णवजनों को दिए अपने प्रवचन में कहा कि हम अत्यंत सौभाग्यशाली है कि महाप्रभु का प्राक्टय हुआ। कल्पना कीजिए कि हमारा जीवन कैसा होता अगर श्री महाप्रभु प्राकट्य नहीं लेते। हम अनाथ ही तरह होते। हमें श्री कृष्ण की महान लीला कौन बताता, कैसे हम उनकी पूजा कर पाते, कैसे उनकी लीला जान पाते। हमारा जीवन साधारण होता। महाराज श्री ने कहा कि श्रीमद भागवत कोई साधारण पोथी नहीं है, यह साक्षात प्रभु का वांग्मय है यानि वाणी का स्वरुप है। श्रीमद भागवत के 12 स्कंध है जिनमें दसवां श्री प्रभु श्रीनाथजी का ह्दय है। महाराजश्री ने बताया कि अगर कोई वैष्णवजन दसवें स्कंध का पाठ कर लें तो उसे संपूर्ण गिरिराज धार्याष्टक के पाठ का फल प्राप्त हो जाता हैै। पारीख समाज के अध्यक्ष जयंतीलाल पारीख ने महाराजश्री का संपूर्ण परिचय दिया और सचिव यशवंत पारीख ने पारीख समाज उदयपुर के बारे में संपूण जानकारी दी।
प्रवक्ता अनिल पारीख व ललित पारख ने बताया कि इससे पूर्व शाम को श्रीनाथजी मंदिर उदयपुर में पालना एवं राजभोग में मनोरथ के बाद भोग दर्शन पश्चात बैंडबाजों के साथ श्री दिव्येशकुमार महाराज के सानिध्य में विशाल शोभायात्रा निकली। बग्गी पर विराजमान श्री दिव्येशकुमार महाराज ने वैष्णवजनों का अभिवादन स्वीकार उन्हें आशीर्वाद दिया। शोभायात्रा श्रीनाथजी मंदिर से खेरादीवाडा व अमल का कांटा होते हुए आरएमवी पहुंची। शोभायात्रा में सैंकडों की संख्या में महिलाएं और पुरुष बैंड की धुन पर चल रहे भजनों पर नाचते गाते चल रहे थे।
पारीख समाज के अध्यक्ष जयंतीलाल पारीख ने बताया कि श्री दिव्येशकुमार महाराज सुबह 4 बजे रेल से उदयपुर पहुंचे। यहां सिटी रेलवे स्टेशन पर समाज के सचिव यशवंत पारीख, प्रवक्ता अनिल पारीख, नितिन पारीख, मुकेश पारीख व मुकेश पारीख आदि सैंकडों वैष्णवजनों ने उनका स्वागत किया। महाराज श्री वहां से सीधे श्रीनाथजी पधारे, जहां श्रीनाथजी के दर्शन पश्चात दोपहर बाद उदयपुर आए।
एतिहासिक यात्रा: श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री ऐसे प्रथम वल्लभाकुल आचार्य हैं जिन्होंने 2015 में सबसे कम आयु में हजारों वैष्णवों के साथ ब्रज चौरासी कोस की ऐतिहासिक यात्रा की तथा 2018 में 1100 वैष्णवों को साथ लेकर श्रीगिरिराजजी की दण्डवती परिक्रमा की। इसमें 584 वैष्णवों ने महाराजश्री के साथ दण्डवती परिक्रमा कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया जिसे वर्ड बुक ऑफ रिकॉड्स, लंदन द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।