श्राद्ध करने से मनुष्य पित्र ऋण, देव ऋण और गुरु ऋण से मुक्त हो जाता है: बीके सुमित्रा
भिवानी, 2 अक्तूबर। स्थानीय प्रजापिता ब्रह्माकुमारी की शाखा सिद्धि धाम में श्राद्ध के संपन्न होने पर सामुहिक भोग लगाया गया। इस दौरान उपस्थित ब्रह्मावत्सों को संबोधित करते हुए शाखा प्रमुख राजयोगिनी बीके सुमित्रा बहन ने कहा जैसा कि हम जानते हैं अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष के 15 दिन पित्र श्राद्ध के दिन होते हैं जिसमें हम अपने पुर्वजों को उनके जाने की तिथि के दिन शुद्धता रखते हुए पंडित को बुलाकर भोजन कराते हैं और यथा शक्ति दक्षिण वस्त्र का दान करते हैं तथा गाय को भोजन व ग्रास खिलाकर समझते हैं हमने पित्र श्राद्ध किया। भाव यह है कि उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धपुर्वक जो अर्पित किया जाए वो श्राद्ध है। दुसरा कहा जाता है कि हरेक व्यक्त पर तीन ऋण होते हैं। एक पित्र ऋण, देव ऋण और गुरु ऋण, श्राद्ध करने से इन तीनों ऋणों से मुक्त हो जाते हैं। क्योंकि हम ही इष्ट देवताएं थे, हमारे गुरुओं ने हमें जीवन जीने के मार्ग बताए और माता पिता द्वारा हमें विरासत में जोभी मिला जीवन और जीवन निर्वाह के लिए वो सभी हमारे उपर कर्ज की तरह होता है। जिसे हम उनके मरणोउपरांत फर्ज के रूप में उन्हें याद कर श्रद्धाभाव से पवित्र आत्माओं को त्रपण, दान पूण्य करना ही श्राद्ध कहलाता है। वास्तव में आपके परिवार में माता-पिता का जीते जी सम्मान ना करना, वृद्धाश्राम भेज देना और मरने के बाद श्राद्ध करना स्वयं से छलावा है ये कोई पुण्य नहीं कहलाता इसलिए हमें जीते जी अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। उन्हें जीते जी उनके मन पसंद का भोजन और वस्त्र समयानुसार देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना ही सामाजिक दायत्व है। इस अवसर पर बीके आरती, बीके शारदा, बीके संतोष, बीके अंजली, कुमारी आयशा, बीके सुशील, बीके कृष्ण, बीके भीम, बीके रामनिवास व मीडिया कॉर्डिनेटर बीके धर्मवीर समेत अनेक ब्रह्मावत्स उपस्थित रहे।