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विशेष कानूनी साक्षरता शिविर का आयोजन, जमीनी स्तर पर महिलाओं को दी कानूनी जानकारी
भिवानी, 20 नवम्बर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश डी. आर. चालिया के निर्देशानुसार और प्राधिकरण के सीजेएम एवं सचिव पवन कुमार के मार्गदर्शन में, जैन चौक क्षेत्र की आंगनवाड़ी केंद्र में विशेष कानूनी साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जमीनी स्तर पर कार्यरत आंगनबाड़ी वर्कर्स व महिलाओं को कानूनी जानकारी प्रदान करना था, ताकि वे अपने कार्य में दक्ष और संवेदनशील बन सकें। इस विशेष कानूनी साक्षरता शिविर की मुख्य वक्ता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिवानी की पैनल अधिवक्ता अनुराधा खंगनवाल रहीं।
पैनल अधिवक्ता अनुराधा खंगनवाल ने विभिन्न कानूनी अधिकारों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने नालसा (एसिड अटैक के पीड़ितों के लिए कानूनी सेवाएं) योजना, 2016, हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना, 2020, घरेलू हिंसा अधिनियम, महिलाओं के अधिकार, मजदूरों के कानूनी अधिकारों और कल्याणकारी योजनाओं, पोक्सो अधिनियम, और अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि नालसा योजना (एसिड अटैक पीड़ितों के लिए कानूनी सेवाएं) के तहत एसिड अटैक के पीड़ितों को कानूनी सहायता और मुआवजा प्रदान किया जाता है। यह योजना एसिड हमले के शिकार महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए है।
हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना, 2020 के तहत अपराधों का शिकार होने वाले व्यक्तियों को सरकार द्वारा मुआवजा प्रदान किया जाता है। इसमें विशेष ध्यान महिला एवं बालिकाओं के अधिकारों की सुरक्षा और आर्थिक सहायता पर है। घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत महिलाओं को उनके घर के भीतर होने वाली हिंसा से सुरक्षा प्रदान की जाती है। उन्होंने महिलाओं को यह जानकारी दी कि अगर वे किसी तरह की घरेलू हिंसा का शिकार हैं, तो वे कानूनी मदद प्राप्त कर सकती हैं। मजदूरों को उनके कार्यस्थल पर सुरक्षित और उचित शर्तों का अधिकार होता है। मजदूरों के लिए श्रम कानूनों के तहत कई कल्याणकारी योजनाएं हैं, जैसे कि काम करने के घंटों की सीमा, न्यूनतम वेतन, और श्रम सुरक्षा की योजनाएं। पोक्सो अधिनियम और बच्चों के अधिकार में बच्चों से संबंधित अपराधों को गंभीरता से लेते हुए पोक्सो अधिनियम, 2012 के तहत बच्चों को यौन शोषण और अन्य प्रकार की हिंसा से बचाने के लिए कठोर प्रावधान हैं। उन्होंने बताया कि अगर बच्चों के साथ कोई दुर्व्यवहार होता है, तो माता-पिता और शिक्षक कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से तुरंत सहायता ले सकते हैं।
शिविर में मौजूद जमीनी स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला कल्याण विभाग के कर्मचारियों, और अन्य स्थानीय महिलाओं को कानूनी दृष्टिकोण से सशक्त बनाने के लिए विभिन्न विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई। बताया कि इन अधिकारियों का कार्य सिर्फ जानकारी बताना नहीं, बल्कि पीड़ितों को कानूनी सहायता प्राप्त करने में मदद करना भी है।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे अधिकारियों को कानूनी शिक्षा देना था, ताकि वे अपने कार्य में लोगों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया गया कि महिलाओं, बच्चों, और मजदूरों के अधिकारों को लेकर संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़े।
शिविर में स्थानीय समुदाय के कई सदस्य और सरकारी कर्मचारी उपस्थित थे। महिलाओं और बच्चों के अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर उनके सवालों का उत्तर देने के लिए पैनल अधिवक्ता ने पूरी जानकारी दी। शिविर में उपस्थित अधिकारियों ने इस आयोजन को अत्यधिक लाभकारी बताया और उम्मीद जताई कि इस प्रकार के आयोजनों से जमीनी स्तर पर लोगों की कानूनी जानकारी में वृद्धि होगी। इस अवसर पर अधिकार मित्र राजेश, सरोज, रेखा, सोनिया, आशा, मीना, भतेरी, सीमा, विनोद, सुशीला सहित अन्य आंगनवाड़ी वर्कर्स व क्षेत्र की महिलाएं उपस्थित रही।