*राष्ट्र की एकता और अखंडता की सुरक्षा सैनिक का परम कर्तव्य है।* कर्नल जी सुखराम
18 जाट बटालियन ने जोश और उल्लास के साथ मनाया 59 वां स्थापना दिवस।
जाट रेजीमेंट देश की जानी-मानी रेजीमेंटों में से एक है। इस रेजीमेंट ने आजादी से पहले और आजादी के बाद विभिन्न युद्धों में अपनी बहादुरी की अनेकों मिसाल कायम की हैं। 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध और कारगिल की लड़ाई में 18 जाट बटालियन ने अपनी वीरता का लोहा मनवाया था।
18वीं जाट बटालियन के पूर्व सैनिकों ने 13 अक्टूबर को निकटवर्ती गांव बोहर के नांदल भवन में बटालियन का 59 वां स्थापना दिवस समारोह पूर्वक बड़े धूमधाम से मनाया। समारोह की अध्यक्षता सूबेदार मेजर बलवान सिंह ने की और कर्नल जी रामसुख मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में पहुंचे थे। समारोह में हरियाणा, राजस्थान ,उत्तर प्रदेश और दिल्ली से लगभग 430 वेटरन्स ने भाग लिया। अपने अपने प्रदेश के परिधानों में पहुंचे पूर्व सैनिक एक दूसरे से गले मिलकर खुशी प्रकट कर रहे थे । पुराने साथी मिलकर एक दूसरे के साथ अपने पुराने अनुभवों को बांटते नजर आए। समारोह में सर्वप्रथम बटालियन का ध्वज फहरा कर रेजिमेंटल गीत गया गया।
इसके बाद बटालियन के शहीद सैनिकों की याद में 2 मिनट का मौन रखकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया गया । इस अवसर पर पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कर्नल जी रामसुख ने कहा कि एक सैनिक भावनाओं से कभी बूढ़ा नहीं होता, भले ही उसका शरीर बूढ़ा हो जाए ,लेकिन राष्ट्र के प्रति उसका समर्पण अंतिम सांस तक बना रहता है।
एक सैनिक राष्ट्र का सच्चा रक्षक होता है । हम आज भी किसी भी विपत्ति में सीमाओं पर जाने के लिए तत्पर है। वहीं समारोह की अध्यक्षता कर रहे कैप्टन बलवान सिंह ने इतनी बड़ी संख्या में समारोह में पहुंचने के लिए सभी को साधुवाद दिया।
समारोह में बटालियन के 8 वरिष्ठतम पूर्व सैनिकों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर कैप्टन धर्मपाल, कैप्टन महिपाल सिंह ,कैप्टन चंद्रभान, कैप्टन बलवान सिंह कैप्टन महावीर सिंह चहल, सूबेदार योगेंद्र सिंह, सूबेदार मेजर अमरनाथ सिंह, हवलदार रत्नवीर सिंह हवलदार नरेंद्र सिंह सहित बटालियन की 430 वयोवृद्ध पूर्व सैनिक उपस्थित रहे ।