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राजस्थान के पशु पालन विभाग में चोरी और सीना जोरी

राजस्थान के पशु पालन विभाग में चोरी और सीना जोरी

राजस्थान के पशु पालन विभाग में राजस्थान के पशु पालन विभाग में चोरी और सीना जोरी — कैलाश चंद्र कौशिक

  1. जयपुर। करौली,जिले के आहरण वितरण अधिकारी ने संयुक्त निदेशक कार्यालय में स्वतन्त्र प्रभार ग्रहण कर अगस्त,1997 से कार्य, सवाई माधोपुर से अलग होकर कार्य प्रारंभ कर दिया। यह नवीन जिला 15, जुलाई,1997 में हुआ!पशु पालन के एकांत दूर कार्यालय की संस्थापन शाखा में, शराबी- कबाबी कर्मियों ने, सवाई माधोपुर कार्यालय की तर्ज पर पैंसे खाने की बदनियत से पहले जी.पी.एफ.और एस.आई. की मूल पास बुक,फाड़/जलाया/गायब किया गया था। बड़ी मेहनत से पुन: आर.टी.आई.से 2 जी.पी.एफ.और 1 स्टेट इंसुरेंस पास बुक बनवाई। पत्रकार पूर्व में इस विभाग में ड्यूटी पर कार्यरत् रहा ? विभाग में उत्कृष्ट सेवाएं रहने पर भी अन्याय थोप दिया? उपस्थिति पंजिका में हाजिरी दर्ज नहीं करने दी गयीं। सवाई माधोपुर में निर्मल सिंह,अजय कुमार और करतार सिंह शराबी- कबाबी थे, इनके सहयोगी हरिचरण माली क्लर्क, बालेर वी.ए.मदन मोहन एजेंट रहे?? यह वेतन का चौथाई हिस्सा लेकर के ही हाजिरी कराया करते थे। वेतन, अवकाश प्रकरण, सरेंडर लीव, इनक्रिमेंट, सभी फ़िक्सेशन वेतनमान, कंफिशियल रिपोर्ट सभी पैसे से और शराबी पार्टी कार्यालय समय पश्चात की जाती रही हैं?? वरना उमाकांत थानवी तक लेन-देन तक और निदेशालय के कार्यालय कर्मी वर्षों पुराने अजगर भी पाई पाई शोषण करने करने में कार्यरत् रहे?? ऐसे ही कानून को अपने हाथ में रखते आये हैं?? यहाँ तक कि श्रीशिवरात्रि मेला अधिकारी के ड्यूटी प्रमाण पत्र तक नहीं मानते हुए भुगतान नहीं किये, जिसका आज तक इंतजार है। आप अवलोकन करें।ड्यूटी पर हाजिर रहने और कार्य करते हुए वेतन, भत्तों का भुगतान आज तक शेष है। विभाग में कोई सही कार्य करने तक के कर्मी और अधिकारी विरले ही पाए जाते हैं?? बालेर में हाजिर रहा, ड्यूटी पत्र पर स्वम के हस्ताक्षर स्वीकार किये गए हैं?? रिपोर्ट कर्ता जांच अधिकारी ने निर्दोष पाए जाने पर भी पूर्व एवं पश्चात बार बार रिपोर्ट परिवर्तन कर सेवाओं से पृथक करने का कारण भृष्टाचार रहा है। जबकि इन्होंने वेतन देते हुए,पेंशन और वेतन वृद्धि की अभिशंसा की है। विभाग से न्याय की उम्मीद की जा सकती है?? अभी सर्विस रिकॉर्ड (सर्विस बुक और फाईल) जान बूझ कर अपूर्णीय क्षति की है। इन भृष्टाचारियों के काले कारनामे बोलते हैं।विभाग में 22/ जनवरी/1980 से, 27/ जून/2003 तक की ड्यूटी पर कोई वेतन , भत्ते, पेंशन नियमानुसार सर्विस बुक में अभिशंसा उपरांत 70 वर्ष की अवस्था में भी कोई जीवन यापन हेतु आर्थिक लाभ अनसुना कर नहीं दिया गया है?? क्या राज्य सरकार शासन, प्रशासन संज्ञान लेंगे। जबकि 10 वर्षीय कार्य काल पर पेंशन नियत है??चोरी और सीना जोरी

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