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यह देश आपका गुनाहगार है सरदार मनमोहन सिंह जी धनखड़ खाप के राष्ट्रिय अधक्ष्य डॉ.ओमप्रकाश धनखड़ ने पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को दी भावपूर्ण विदाई

धनखड़ खाप के राष्ट्रिय अधक्ष्य डॉ.ओमप्रकाश धनखड़ के व्हाट्सप्प से साभार

अलविदा सरदार मनमोहन सिंह जी
आपके नहीं..औरों ने इस देश के अहित में जो कृत्य किए हैं…उनके लिए आपसे माफ़ी मांगना चाहूँगा…
यह देश आपका गुनाहगार है सरदार मनमोहन सिंह जी, आपकी शालीनता और ख़ामोशी को सड़क छाप लोगों ने आपकी कमजोरी बताकर बदनाम किया…ज्ञान खामोश ही होता है…वाक्पटुता तो औसत बुद्धि का आभूषण होता है…
रेनकोट पहन कर नहाने जैसी अश्लील टिप्पणी से आपका मजाक बनाया गया तब मैं हँसा था…
जब आपकी हावर्ड की डिग्री का मजाक अनपढ़ लोगों ने उड़ाया तब मैं खामोश था….
2G के 1.76 लाख करोड़ के काल्पनिक घोटाले की पोल तो 5G के दरों से तय हुआ….लेकिन आम अज्ञानता के द्वारा किये अपमान का जहर आपने चुपचाप पी लिया….

अनपढ़ मदारियों ने करंट एकाउंट डेफिसिट को कम करने के लिए निर्यात बढ़ाने के लिए मुद्रा अवमूल्यन के आपके शानदार प्रयास को देश के इज्जत जैसे गैर आर्थिक सोच और अपरिपक्वता का नायाब नमूना पेश किया था…मैंने दुनिया के अखबारों में आपकी तारीफ पढ़ी थी….लेकिन यहाँ आपकी उम्र और रुपये का मज़ाक़ बनाया जा रहा था…..आप चुप रहे….आप उस स्तर तक नही गिर सकते थे….
गिरते रुपये को आपकी साख से जोड़ा मूर्खो ने …. आज वो बेशर्म शायद अपना कहा ही नही सुनना चाहेंगे….
आपने 1991 में सोना गिरवी रख खर्च के लिए पैसे जुटाते देश को अपने दूरगामी सोच से इतना सशक्त किया कि 2008 की वैश्विक मंदी का प्रभाव हिंदुस्तान पर नही पड़ा इससे दुनिया हतप्रभ थी…
आपके सुझाव कितने बहुमूल्य हुए यह बराक ओबामा को कहते हुए मैंने खुद सुना…तब जब आप सत्ता में नही थे…और यह देश आपके विद्वता का मज़ाक उड़ा रहा था….खैर जिस समाज में बुद्धिजीवी और सेक्यूलर जैसे शब्द गाली हो जाएं उसकी बर्बादी सिर्फ समय की बात है…
आपने 2014 में अपने बचाव में सिर्फ एक लाइन कही थी…
इतिहास मेरे मूल्यांकन के ज्यादा मेहर रखेगा, मीडिया की बजाय…. History will be kinder to me than media….
शायद आपको एहसास था मीडिया के बिके होने का….
आप आवाज़ के उतार चढ़ाव से मदारी जैसा भाषण देकर जनता की ताली तो नहीं बटोर सके…पर जनता की थाली तो तब ही स्वाद देती थी…

अपने पूरे जीवन में जितनी तरक्की आम जनता के रूप में आपके समय में हुई वह एक सपना है….

सच्चे मन से आपके प्रति हुए अपराध के मौन दर्शक होने के लिए माफी सरदार जी….आप जैसे महापुरुष के काल में मेरा जन्म हुआ यह मेरा सौभाग्य रहा…..अपमान को कैसे शांति से सहना इसके लिए मुझे महात्मा बुद्ध को नही जानना पड़ा….आप थे ना!

धनखड़ खाप के राष्ट्रिय अधक्ष्य डॉ.ओमप्रकाश धनखड़ के व्हाट्सप्प से साभार

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