भिवानी जिला के शिक्षाविदों ने किया वाराणसी के विद्यालयों का भ्रमण
भिवानी, 20 दिसंबर : सीखना एक ससत प्रक्रिया है और व्यक्ति अपने परिवेश, आस-पड़ौस, एक-दूसरे संपर्क करके अपने विचारों का आदान-प्रदान करके ही उपरोक्त युक्ति को चरित्रार्थ कर सकता है। इसी भावना को साकार करते हुए शिक्षा विभाग हरियाणा ने 11 दिसंबर से 14 दिसंबर तक तीन दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया, जिसमें प्रत्येक जिला से पांच शिक्षक जो रचनात्मक शिक्षण को और ज्यादा देने की हरसंभव कोशिशें करते रहते है, को चुना गया। इस प्रकार के भ्रमण के लिए विभाग ने उत्तर प्रदेश राज्य के धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक जनपद वाराणसी के आठ खंडों को चुना। जिसमें भिवानी जनपद में पांच सदस्यों की टीम का चयन किया गया, जिसके नेतृत्वकर्ता जिला समन्यवक एफएलएन ललित मेहतानी रहे। ललित मेहतानी के अतिरिक्त चार सदस्य शकुंतला देवी मॉडल संस्कृति राजकीय प्राथमिक पाठशाला झांवरी, सीमा देवी राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक पाठशाला जाटु लोहारी, डा. विजय लक्ष्मी एबीआरसी बवानीखेड़ा, सतीश आर्य राजकीय प्राथमिक पाठशाला जुई बिचली कैरू थे।
इस भ्रमण के दौरान टीम ने वाराणसी जनपद के विभिन्न विद्यालयों की अलग-अलग टीमें बनाकर भ्रमण करके शिक्षण की रचनात्मकता को बहुत बारीकी से देखा तथा कक्षा-कक्ष में शिक्षण में काम आने वाली प्रत्येक वस्तु का उपयोग किया प्रकार से किया जा रहा है, उसको भी सूक्ष्मता से देखा। इस दौरान बनारस हिंदु विश्वविद्यालय, राज्य हिंदी संस्थान वाराणवी का भी भ्रमण करवाया गया।
इसके अतिरिक्त जनपद वाराणसी में शिक्षा का ढ़ांचा जिसमें मोनिटरिंग तथा नीतियों का क्रियान्वन जिला स्तर पर, खंड स्तर पर संकुल स्तर पर और अंतत: विद्यालय स्तर पर कैसे हो रहा है। इसमें वहां के खंड शिक्षा अधिकारी, सीआरसी, बीआरसी, एआरसी के साथ मीटिंग करके उन प्रक्रियाओं को जाना जो काफी लाभांवित करने वाला था। इसके साथ-साथ निपुण भारत मिशन में भाषा पर भी बहुत ज्यादा जोर दिया गया। वाराणवी के प्रत्येक अधिकारी, जिनको भी विभाग द्वारा नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपना कार्य पूरी जिम्मेवारी के साथ किया। इसके लिए शिक्षा विभाग हरियाण व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी का वे आभार जताते है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत देश भर में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का उदघोष हो चुका है। जिसके तहत कक्षाओं में शिक्षण के परंपरागत तरीकों के साथ-साथ नए तरीके जिनके माध्यम से खेल-खेल में विभाग प्रकार की गतिविधियां करवाई जा रही है। इन गतिविधियों के माध्यम से से शिक्षण को और ज्यादा रूचिकर बनाया जा रहा है, ताकि विद्यालयों में बच्चों के बचपन के रूप में जो भारत का भविष्य अंगड़ाई ले रहा है।