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भाजपा शासन में प्रदेश व देश का किसान डीएपी के लिए परेशान: सविता मान

किसानों की आय दोगुनी करने का वादा निकला झूठा, भाजपा कर रही है किसानों का शोषण

भिवानी, 11 नवंबर। भाजपा शासन काल में प्रदेश व देश का किसान डीएपी की खाद के लिए परेशान है। उन्हें गेहूं व सरसों की फसल की बिजाई करने के लिए  डीएपी  की  खाद  के लिए  दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह बात महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव सविता मान ने किसानों की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसानों की आय दोगुनी करने का जो वादा किया था वह झूठा निकला। इससे यह साबित हो रहा है कि भाजपा किसानों का शोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में इन दिनों डीएपी का संकट गहरा गया है। किसान इस वक्त गेहूं और सरसों की बुवाई में लगे हैं ऐसे में अगर समय रहते खाद नहीं मिलती है तो फसलों को नुकसान हो सकता है।  गोबर और पारंपरिक खाद किसानों के पास बेहद सीमित मात्रा में होती है इसलिए किसान मुख्यत: यूरिया और डीएपी खाद पर ही निर्भर होते हैं।  खाद की सबसे अधिक समस्या हरियाणा और मध्यप्रदेश में है। राजस्थान, यूपी, बिहार में भी किसान डाई अमोनियम फास्फेट खाद की भारी कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के पूरे-पूरे दिन लाइन में खड़े रहते हैं बावजूद खाद नहीं मिल पा रही. कई जगह तो किसानों को ब्लैक में खाद खरीदनी पड़ रही है। दरअसल, इस साल खाद का आयात कम हुआ है जिसकी वजह से संकट बढ़ गया है। देश में सबसे ज्यादा खपत यूरिया की होती है, इसके बाद डीएपी का प्रयोग होता है। प्रति वर्ष मोटे तौर पर सौ लाख टन डीएपी की आवश्यकता होती है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक, 2019-2020 में 48.70 लाख मीट्रकि टन डीएपी का आयात कयिा था, जो 2023-24 में बढक़र 55.67 लाख मीट्रकि टन हो गया। साल 2023-24 में डीएपी का घरेलू उत्पादन महज 42.93 लाख मीट्रकि टन ही रहा।

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