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भगवान लक्ष्मी नारायण की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तहत पांच दिवसीय कार्यक्रम हुए शुरू

मूर्ति में दैवीय चेतना व जीवन शक्ति आह्वान करने की प्रक्रिया का हिस्सा है अन्नाधिवास : महेंद्र ओड

भिवानी, 16 नवंबर : गांव बलियाली में बीसी चौपाल के नजदीक स्थित खातियों वाले मंदिर में भगवान श्री लक्ष्मी नारायण की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजित किए जाने वाले पांच दिवसीय कार्यक्रमों की शुरूआत शनिवार को प्रांरभ अन्नाधिवास से हुई। यह जानकारी देते हुए ओड समाज के पूर्व प्रधान महेंद्र सिंह ओड ने बताया कि इस पांच दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन समस्त ग्रामवासी बलियाली व रामुपुरा द्वारा करवाया जा रहा है। जिसके तहत 17 नवंबर को जलाधिवास, 18 को फल-फूल-धृत-धुपादिवास, 19 को पूजा, कलया शत्रा व नगर परिक्रमा एवं शैय्याधिवास और जागरण तथा 20 नवंबर को हवन, प्राण प्रतिष्ठा, पूर्ण आहुति, विसर्जन एवं भंडारे का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन कार्यक्रमों में बवानीखेड़ा के डेरा बाबा रामरूप  से महंत गुमानदास महाराज, बवानीखेड़ा के डेरा बाबा सोमारपुरी से महंत कैलाश गिरी महाराज, बवानीखेड़ा के बाबा जर्नानाथ डेरा से योगी ब्रहमनाथ महाराज तथा आचार्य डा. मनोज शास्त्री बलाली पहुंचेें। कार्यक्रम में सान्निध्य शिवकुमार शर्मा रामुपुरा का रहेगा। शनिवार को हुए अन्नाधिवास के बारे में बताते हुए महेंद्र सिंह ओड ने कहा कि अन्नाधिवास कार्यक्रम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। यह संस्कार विशेष रूप से मूर्ति में दैवीय चेतना और जीवन शक्ति का आह्वान करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। अन्नाधिवास कार्यक्रम देवता के स्वागत और सम्मान का प्रतीक है। इसे इस भाव से किया जाता है कि देवता की कृपा से जीवन में समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक प्रगति होगी। उन्होंने कहा कि अन्नाधिवास का अर्थ है मूर्ति को अन्न (भोजन) के साथ प्रतिष्ठित करना। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य उद्देश्य मूर्ति को केवल एक भौतिक वस्तु से दिव्य स्वरूप देना है। अन्नाधिवास के दौरान मूर्ति को अन्न में स्थापित करके उसे जीव मानने और उसमें दिव्य चेतना भरने की शुरुआत की जाती है। इस अवसर पर अनेक श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

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