कुरुक्षेत्र । गांव कमोदा स्थित काम्यकेश्वर महादेव मंदिर एवं तीर्थ पर आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष सप्तमी पर मेला आयोजित किया गया। इसमें जननायक जनता पार्टी के युवा जिलाध्यक्ष एवं शुगरकेन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य डॉ. जसविंद्र सिंह खैहरा ने बतौर मुख्य यजमान उपस्थित होकर पूजा अर्चना की। भगवान शिवलिंग पर जलाभिषेक एवं पूजन करने के उपरांत डॉ. खैहरा ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काम्यकेश्वर महादेव मंदिर एवं तीर्थ का इतिहास महाभारत काल से ही प्राचीन है। शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन इस तीर्थ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उन्होंने कहा कि भारत भूमि का इतिहास सबसे श्रेष्ठ एवं प्राचीन है। विश्व के किसी देश के पास शायद ऐसा धार्मिक इतिहास नहीं है। उन्होंने बताया कि महर्षि पुलस्त्य एवं महर्षि लोमहर्षण ने वामन पुराण में काम्यक वन तीर्थ की उत्पत्ति का वर्णन करते हुए इस तीर्थ की उत्पत्ति को महाभारत काल से भी प्राचीन बताते हुए वर्णन किया है कि एक बार नैमिषारण्य के निवासी कुरुक्षेत्र की भूमि पर सरस्वती नदी में स्नान करने के लिए काम्यक वन में आए थे। लेकिन वे सरस्वती में स्नान ना कर सके। उन्होंने यज्ञोपवितिक नामक स्थान की कल्पना की और स्नान किया। फिर भी शेष लोग उस में प्रवेश नहीं पा सके तो मां सरस्वती ने उनकी इच्छा पूर्ण करने के लिए साक्षात कुंज रूप में प्रकट होकर इस तीर्थ पर दर्शन दिए और पश्चिम वाहिनी होकर बहने लगी।
वामन पुराण के अध्याय 2 के 34 वें श्लोक में काम्यक वन तीर्थ प्रसंग में स्पष्ट लिखा है कि रविवार को सूर्य भगवान पूषा नाम से साक्षात रूप से विद्यमान रहते हैं।इसलिए भी स्थान का विशेष महत्व है। इस अवसर पर तीर्थ कमेटी की ओर से डॉ. खैहरा को स्मृति स्वरूप देकर सम्मानित किया गया। आयोजन में हजारों की संख्या में आसपास के क्षेत्रवासियों तथा ग्रामीणों ने भाग लिया।