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पशुओं को मुंहखुर व गलघोटू से बचाने के लिए पशुपालन विभाग का वैक्सीनेशन अभियान जारी

राजकीय पशु चिकित्सालय प्रहलादगढ़ को दिया 4488 वैक्सीन लगाने का लक्ष्य : डा. सोनू वर्मा

भिवानी, 09 नवंबर : पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग द्वारा पशुओं को मुंहखुर व गलघोटू की बीमारी से बचाने के लिए संयुक्त वैक्सीन लगाने का अभियान चलाया हुआ है, ताकि पशुओं को इन जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकें। इसी कड़ी में पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. रविंद्र सहरावत के निर्देशानुसार गांव प्रहलादगढ़ के राजकीय पशु चिकित्सा के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों में मुंहखुर व गलघोटू की संयुक्त वैक्सीन लगाने का अभियान जारी है। पशुपालन विभाग के एसडीओ, उपनिदेशक वैक्सीनेशन अभियान की समीक्षा करते है तथा उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजते है।

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. रविंद्र सहरावत द्वारा प्रहलादगढ़ राजकीय पशु चिकित्सालय को 4488 वैक्सीन लगाने का लक्ष्य दिया गया है, ताकि प्रत्येक पशु को इस जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकें। इसके लिए टीमों का गठन किया गया है। पशु चिकित्सालय प्रहलादगढ़ के अंतर्गत टीकाकरण के लिए डा. सोनू वर्मा के नेतृत्व में बनाई गई टीम में रणसिंह वीएलडीए, पंकज वीएलडीए, लक्ष्मण वीएलडीए, धर्मबीर, कुलदीप, सोमबीर, प्रेम, देवेंद्र स्टाफ सदस्य घर-घर जाकर मुहखुर व गलघोटू की वैक्सीन लगा रहे है।
उपमंडलाधिकारी डा. अशोक गुप्ता ने कहा कि मुहखुर और गलघोंटू जैसी बीमारियों के वैक्सीनेशन से पशुपालकों की आर्थिक और समग्र पशुधन की सुरक्षा होती है। उन्होंने बताया कि मुहखुर व गलघोटू की वैक्सीन से पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। उन्होंने बताया कि इस टीकाकरण से पशुओं में अन्य बीमारियां फैलने का खतरा भी कम हो जाता है।
पशु चिकित्सक सोनू वर्मा ने बताया कि मुहखुर वायरस से फैलती है और तेजी से एक पशु से दूसरे में फैलती है, जिससे पशुओं के पैरों और मुंह में घाव और बुखार होता है। इससे उनकी उत्पादन क्षमता पर असर पड़ता है और कटड़े-कटड़ी व बछड़े-बछड़ी की मौत तक भी हो सकती है। इसके अलावा गलघोटू एक बैक्टीरियाजनित बीमारी है जो तेज बुखार, गले में सूजन और सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है, जिससे मृत्यु हो सकती है। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन बेहद महत्वपूर्ण है।
डा. सोनू वर्मा ने कहा कि लोगों में भ्रांति है कि इस टीकाकरण से पशु का दूध सूख जाता है या गर्भपात हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस वैक्सीनेशन के बाद पशुओं में दूध सूखने की कोई समस्या नहीं आती है। यदि पशु को बुखार आता है तो उसे बुखार की दवाईयों से ठीक किया जा सकता है। क्योंकि किसी भी वैक्सीन से शरीर की क्रिया के कारण तापमान में बढ़ोत्तरी संभव है। उन्होंने बताया कि सभी पशुओं के टीकाकरण करने के बाद उस टीकाकरण को पशु के कान में लगे 12 अंकों के टैग नंबर के साथ ऑनलाईन किया जाता है।

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