पुलिस अधीक्षक ने बताई पुलिस प्राधिकरण को उसकी औकात भिवानी के पूर्व पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया ने राज्य पुलिस प्राधिकरण के फैसले को किया डिसमिस
मनमानी करने पर उतरे भिवानी के पूर्व पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया राज्य पुलिस प्राधिकरण के फैसले को किया डिसमिस
प्रथम दृष्टया इस न्यायालय की राय है कि पुलिस अधीक्षक, भिवानी ने प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन करने का प्रयास किया है, जो उस तिथि तक पहले से ही अस्तित्व में था, जब दिनांक 20.08.2024 को उनके द्वारा आदेश पारित किया गया था (अनुलग्नक पी-6)। पुलिस अधीक्षक, भिवानी इस संबंध में एक हलफनामा दायर करें और अगली सुनवाई की तिथि पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस न्यायालय की कार्यवाही में शामिल हों कि उनके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। 22.11.2024 तक स्थगित। (विनोद एस. भारद्वाज) 22.10.2024 न्यायाधीश मंगल सिंहपुलिस अला कमान ने माना
जब कोई पुलिस अधिकारी अपनी मनमानी करने पर उत्तर आये तो उसके आगे पीस अला कमान भी बौना नज़र आता है इतना ही नहीं इस उच्चाधिकारी के फैसले पर माननीय न्यालय को भी कहना पड़ रहा है कि प्रथम दृष्टया इस न्यायालय की राय है कि पुलिस अधीक्षक, भिवानी ने प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन करने का प्रयास किया है l
आपको बतादें कि राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण द्वारा बामला निवासी एक महिला बाला देवी की एक शिकायत जिसमे महिला ने उसके बेटे प्रशांत के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज़ कर अवैध हिरासत में रखने के आरोप लगाते हुए उक्त चौकी के कर्मचारियों के खिलाफ एक शिकायत राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण को दी थी l इस शिकायत की व्यापक जाँच पड़ताल व् उपलब्ध सबूतों के आधार पर राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने शिकायत का निवारण करते हुए फैसला दिया था कि दिनोद गेट पुलिस चौकी में अवैध धन वसूली का अड्डा चल रहा है दिनोद गेट पुलिस चौकी पर ये किसी सामान्य नागरिक के आरोप नहीं वरन गहन जाँच पड़ताल के बाद हरियाणा पुलिस प्राधिकरण द्वारा दिया गया फैसला है पुलिस के इस अवैध हिरासत- अवैध धन वसूली के इस अड्डे का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस प्राधिकरण ने इसे अमानवीय भी बताया है l इतना ही नहीं हरियाणा पुलिस प्राधिकरण ने भिवानी स्थित दिनोद गेट पुलिस चौकी इंचार्ज एएसआई दशरथ, एएसआई धर्मबीर, एचसी नफे सिंह, एचसी नरेश और एसपीओ जसबीरको निलंबित भी किया है l
राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने अपने फैसले में लिखा है कि उपरोक्त शिकायत इस कार्यालय में प्राप्त हुई थी तथा पुलिस अधीक्षक भिवानी के माध्यम से जांच की गई थी। जांच रिपोर्ट के अवलोकन के पश्चात प्राधिकरण ने न्याय पाने के लिए दोनों पक्षों को व्यक्तिगत रूप से सुनने का निर्णय लिया। व्यक्तिगत सुनवाई के समय प्रस्तुत सभी साक्ष्यों, बयानों तथा रिकार्ड को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों के प्रस्तुतीकरण/तथ्यों/गवाहों/बयानों पर विचार करने के पश्चात प्राधिकरण का विचार है कि प्रशांत के विरुद्ध बनाया गया मामला झूठा प्रतीत होता है, क्योंकि बलपूर्वक प्राप्त किए गए बयान के अलावा कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है। पैरा 08-26 में दिए गए विभिन्न गवाहों तथा डीएसपी, एसपीसीए की रिपोर्ट के आधार पर यह भी स्पष्ट है कि प्रशांत को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था तथा उसे प्रताड़ित किया गया था। फोन कॉल तथा रिकॉर्डिंग भी आरोप को साबित करती हैं।यह भी स्थापित होता है कि ये पुलिस अधिकारी युवा लड़कों को प्रताड़ित करके, डराकर तथा झूठे मामले दर्ज करके जबरन वसूली का कोई रैकेट चलाते प्रतीत होते हैं। इस मामले में प्राधिकरण ने पाया है कि इस प्रकार की गतिविधियां अत्यंत गंभीर हैं तथा युवा लड़कों के मानसिक स्वास्थ्य पर इनका गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के क्रूर व्यवहार को सख्त कार्रवाई करके रोका जाना चाहिए। इसलिए, यह प्राधिकरण एएसआई दशरथ, एएसआई धर्मबीर, एचसी नफे सिंह, एचसी नरेश और एसपीओ जसबीर को निलंबित करने की सिफारिश करता है। प्राधिकरण प्रशांत, अनमोल, नितिन और आशीष को पुलिस चौकी, दिनोद गेट पर अवैध रूप से बंधक बनाने और अमानवीय यातना देने के लिए उपरोक्त सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की भी सिफारिश करता है।
शिकायत संख्या 1/347/2023/एसपीसीए/बीडब्ल्यूएन/ में पारित प्राधिकरण के दिनांक 13-08-2024 के आदेश की एक प्रति आपकी जानकारी और आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए संलग्न है।हैरानी की बात है किभिवानी के पूर्व पुलिस अधीक्षक श्री नरेंद्र बिजारणिया ने राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरणके इस फैसले को पलटते हुए दोषी पुलिस कर्मचारियों एएसआई दशरथ, एएसआई धर्मबीर, एचसी नफे सिंह, एचसी नरेश और एसपीओ जसबीर को साफ तौर क्लीन चिट देदी गई l इस मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय कि न्यायधहिश न्यायाधीश एस भारद्वाज ने अपने आदेश में कहा है कि प्रथम दृष्टया इस न्यायालय की राय है कि पुलिस अधीक्षक, भिवानी ने प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन करने का प्रयास किया है, जो उस तिथि तक पहले से ही अस्तित्व में था, जब दिनांक 20.08.2024 को उनके द्वारा आदेश पारित किया गया था (अनुलग्नक पी-6)माननीय न्यायाधीश ने तत्तकालीन पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया को अगली तारिख को हलफनामा दायर कर ऐसा क्यों किया पुलिस अधीक्षक, भिवानी इस संबंध में एक हलफनामा दायर करें और अगली सुनवाई की तिथि पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस न्यायालय की कार्यवाही में शामिल हों कि उनके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।न्यायालय में अगली सुनवाई 22.नवंबर 2024 को है ।