खापें और बुद्धिजीवी,एन सी आर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित लेकिन सरकार द्वारा इसका पूरा ठीकरा किसानों के सिर फोड़ने से नाराज । खाप
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को लेकर जहां स्वस्थ्य विशेषज्ञ और सरकार चिंतित हैं । वहीं इस पर समाज के बुद्धिजीवी और सर्व खाप के नुमाइंदे भी चिंतित हैं। इस विषय को लेकर सर्वखाप प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों की एक बैठक 10 नवम्बर रविवार को रोहतक दिल्ली बाईपास पर आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता वयोवृद्ध बुद्धिजीवी प्रीत सिंह अहलावत ने की। कृषि अधिकारी रहे डॉक्टर रविंदर नांदल ने बैठक को संबोधित करते हुए बताया कि यह समस्या प्रतिवर्ष सर्दी का मौसम शुरू होते ही आती है, क्योंकि सर्द मौसम होते ही वायु का बहाव कम होता है जिसके कारण धुआं और धूल कण पृथ्वी से ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाते हैं और पूरे वायुमंडल में धुआं ही धुआं नजर आता है। ऐसे में धुआं और अन्य गैसें आकाश में ऊंचाई पर जाने की अपेक्षा जमीन के साथ-साथ ही रहते हैं जिसके कारण वायु मंडल बुरी तरीके से प्रभावित होता है । ऐसे में प्रत्येक प्राणी को सांस लेने में भी दिक्कत होती है। इस विषय पर अपने विचार रखते हुए सर्व खाप प्रवक्ता कैप्टन जगवीर मलिक ने बताया कि प्रदूषित वातावरण से आंखों की बीमारियों , दमा, टी बी, कैंसर, चर्म रोग और हृदय रोग जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग बड़ी तकलीफ में आ जाते हैं। यह दम गोटू प्रदूषित वायुमंडल सभी जीवधारियों के लिए घातक हैं। लेकिन देखने में आता है कि सरकार और अन्य संस्थाएं इसका पूरा दोष किसानों पर पराली जलाने को लेकर ठोकते हैं ,जो कि सरासर किसानों के साथ भेदभाव है । पराली का जलना ही इस प्रदूषित वातावरण का अकेला कारक नही है ।आजकल किसान काफी समझदार हो गया है। वह अपनी पराली को सलीके से बांधकर रखते हैं और उसका चारा बनाते हैं । अधिक होने पर उ हमेंसको बेचकर धन अर्जित करते हैं। कोई कोई किसान धान के खड़े फासों को जलता है जो भूमि से थोड़ा सा ऊपर रहती हैं और कटने में नहीं आती ।यद्यपि किसान इनको भी जलाना नहीं चाहता लेकिन गेहूं की फसल की बिजाई के लिए खेत का साफ सुथरा होना आवश्यक होता है इसलिए कई किसान इस प्रकार का कदम उठाते हैं। उन्होंने सर्वखाप की तरफ से किसानों से अपील की कि वे पराली न जलाएं। वही उन्होंने किसानों पर थोड़ी बहुत पराली जलाने पर मुकदमे दायर कर जुर्माने किये जा रहे हैं उन पर भी चिंता व्यक्त की। क्योंकि यही समय किसान के लिए काम का होता है और ऐसे में ही उस पर मुकदमे दर्ज कर दिये जाए तो चिंता की बात होती है। यह समय किसान के पास जल्दी से जल्दी गेहूं की बिजाई करने का होता है। उसे चिंता होती है कि किस प्रकार गेहूं की बिजाई के लिए अपने खेतों को तैयार करें।
किसान राजवीर मलिक का कहना था कि केवल थोड़ी बहुत पराली जलाने से ही वायु इतनी प्रदूषित नहीं होती, इसके लिए कई अन्य कारण भी है जैसे वाहनों की बढ़ती संख्या और उनसे निकलने वाला जहरीला धुआं इसका सबसे बड़ा कारण है। पहले बहुत कम मात्रा में वाहन
होते थे आज वहां भारी संख्या में वाहन सड़कों पर चल रहे हैं जिनसे निकलने वाला धुआं और गैस वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं ।
दूसरा शहरों के आसपास बड़े-बड़े उद्योगों से निकलने वाला धुआं इसका एक अन्य बहुत बड़ा कारण है
तीसरा इसका एक बड़ा कारण है दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर बहादुरगढ़ और अन्य शहरों के आसपास कबाड़ियों की बड़ी-बड़ी दुकानें व गोदाम हैं । यहां कबाड़ी रात के अंधेरे में अपने कबाड़ में से लोहा पीतल इत्यादि निकालने के लिए बड़ी मात्रा में कबाड़ को जलाते हैं जिससे भारी मात्रा में जहरीला धुआं वायुमंडल में प्रवेश करता है और वायुमंडल को प्रदूषित करता हैं।
चौथा इस मौसम का लाभ उठाते हुए निर्माण कार्य भी बड़ी तेजी से शुरू होते हैं जिसमें रेत मिट्टी धूलकण इत्यादि बड़ी मात्रा में हवा में उड़कर शामिल हो कर वायुमंडल प्रदूषित करते हैं।
पांचवां नवंबर माह के आरंभ में कुछ पेड़ों पर पतझड़ आता है और लोग इनके गिरे पत्तों को इकट्ठे करके देर सवेर उनमें आग लगा देते हैं जिससे वायुमंडल में धुआं फैल जाता है ।इन्हें जलाने की बजाय यदि जमीन में दबाया जाए तो इनका अच्छा खाद बन सकता है ।
छटा कारण बड़े-बड़े शहरों में हर रोज हजारों टन कचरा घरों से निकाल कर किसी एक निश्चित स्थान पर ढेर किया जाता है और देखने में आता है कि कई बार इन ढेरों पर आग लग जाती है और ये कई कई दिनों तक सुलगती रहती हैं और वहां से धुआं निकालकर वायुमंडल को दूषित करता रहता है । दिल्ली में ऐसे कई स्थानों पर आप धुआं उठता देख सकते हैं।
बुद्धिजीवी ईश्वर सिंह दलाल ने कहा कि एनसीआर में वायुमंडल के प्रदूषित होने के अनेक कारण हमें देखने को मिलते हैं। लेकिन किसानों द्वारा पराली जलाए जाने का दोष देकर किसानों पर आए दिन जो मुकदमे दायर हो रहे हैं ,इससे आम किसान अपने आप को बेबस और परेशान महसूस कर रहा है ।सरकार को पराली के निष्पादन के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए। किसानों के लिए पराली इकट्ठी करने और विक्री की व्यवस्था करनी चाहिए ।छोटी जोत वाले किसान चाहते हैं कि उनके खेत से पराली को किसी भी तरीके से जल्दी से जल्दी बाहर बाहर हो जाए ताकि खेतों की बिजाई हो सके , तभी जाकर उसके परिवार का सही तरीके से निर्वाह हो सकेगा। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह पराली के उचित व शीघ्र निष्पादन के लिए किसानों को और प्रोत्साहन दे ताकि वे चिंता मुक्त होकर पराली को जलाने की बजाय इसका भंडारण और निष्पादन कर सकें।