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प्रेम और भक्ति का अनूठा उदाहरण है भगवान श्रीकृष्ण और रूकमणी का विवाह : करूणा गिरी

श्रीमद् भागवत 7वें दिन श्रीकृष्ण-रूकमणी मंगल उत्सव कथा का विस्तार से किया वर्णन

भिवानी, 21 दिसंबर : युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव को लेकर शुरू किए गए 51 दिवसीय कार्यक्रमों की कड़ी में स्थानीय हनुमान ढ़ाणी स्थित हनुमान जोहड़ी मंदिर में मंदिर में बालयोगी महंत चरणदास महाराज के सान्निध्य मे जारी श्रीमद्भागवत कथा गीता ज्ञान यज्ञ के 7वें दिन शनिवार को कथावाचिका साध्वी महामंडलेश्वर करूणा गिरी जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण-रूकमणी मंगल उत्सव की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। इसके अलावा कथावाचिका ने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कथावाचिका साध्वी महामंडलेश्वर करूणा गिरी जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और रूकमणी का विवाह वैदिक परंपरा में प्रेम और भक्ति का अनूठा उदाहरण है।

यह कथा धर्म और अधर्म के संघर्ष के बीच प्रेम, निष्ठा औश्र सत्य की विजय की कहानी है। कथावाचिका साध्वी महामंडलेश्वर करूणा गिरी जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना की तथा धर्म की स्थापना करना ही द्वापर युग एवं भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का मुख्य कारण था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा महापुराण सुनने से जिस प्रकार से राजा परिक्षित का उद्धार हुआ, उसी प्रकार से प्रत्येक जनमानस का उद्घार संभव है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा महापुराण ही कलयुग का सार है। ऐसे में भागवत कथा महापुराण ही प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का मुख्य ध्येय होना चाहिए। इस मौके पर मंदिर के महंत बालयोगी चरणदास महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण-रूकमणी का विवाह यह संदेश देता है कि सच्चा प्रेम और निष्ठा धर्म के मार्ग को मजबूत करती है। यह कथा हर भक्त को यह प्रेरणा देती है कि भगवान अपने भक्तों की सच्ची पुकार पर अवश्य आते हैं।

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