*प्राकृतिक कृषि में नवाचार: प्रो-ट्रेस और कोकोपीट से किसानों को मिलेगा अनुदान*
राजसमन्द /
आधुनिक खेती में उन्नत तकनीकों का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है। इस दिशा में “प्रो-ट्रेस” और “कोकोपीट” जैसी तकनीकों ने एक नई क्रांति ला दी है। ये तकनीकें न केवल फसल उत्पादन को बढ़ावा देती हैं, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने और जल संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। किसानों की सुविधा के लिए कृषि विभाग द्वारा इन तकनीकों पर 50 प्रतिशत अनुदान देने की योजना शुरू की गई है, जिससे उन्हें बेहतर और किफायती खेती करने में मदद मिलेगी।
प्राकृतिक कृषि में नवाचार: प्रो-ट्रेस और कोकोपीट से किसानों को मिलेगा अनुदान*
प्रो-ट्रेस एक आधुनिक रोपण विधि है, जिसमें प्लास्टिक ट्रे के माध्यम से पौधों को उगाया जाता है। यह ट्रे विभिन्न आकारों में उपलब्ध होती है और इनमें 99 से 200 पौधे तक उगाए जा सकते हैं। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि कम स्थान में अधिक पौधों को उगाया जा सकता है और इन्हें आवश्यकतानुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। साथ ही, यह पारंपरिक विधियों की तुलना में पौधों को अधिक पोषण और नमी प्रदान करता है, जिससे उनकी वृद्धि तेज होती है और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
कोकोपीट भी एक महत्वपूर्ण कृषि माध्यम है, जिसे नारियल के छिलकों से तैयार किया जाता है। यह एक जैविक पदार्थ है, जो मिट्टी का उत्कृष्ट विकल्प बनकर उभरा है। इसकी जल धारण क्षमता अधिक होती है, जिससे पौधों को लंबे समय तक नमी मिलती रहती है। कोकोपीट के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, फसल जल्दी बढ़ती है और उत्पादन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। यह न केवल जल संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह मिट्टी के कटाव को भी रोकता है।
प्रो-ट्रेस और कोकोपीट का संयोजन किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हो रहा है। इस तकनीक से वे 10-15 दिनों के भीतर स्वस्थ और रोगमुक्त पौधे तैयार कर सकते हैं, जिन्हें मुख्य खेत में रोपण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह विधि विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद है, जो जैविक खेती या अत्यधिक संवेदनशील फसलों की खेती कर रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा इस योजना के तहत किसानों को अधिकतम 200 प्रो-ट्रेस और 200 किलोग्राम कोकोपीट खरीदने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। अधिकतम ₹4,500 प्रति हेक्टेयर तक का अनुदान निर्धारित किया गया है। यदि कोई किसान इससे कम मात्रा में सामग्री खरीदता है, तो उसे उसी के अनुसार अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसानों को 14 फरवरी 2025 तक आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
इस योजना का उद्देश्य किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों से जोड़ना और उनकी उत्पादकता को बढ़ावा देना है। प्रो-ट्रेस और कोकोपीट जैसी विधियों के प्रयोग से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल खेती को भी प्रोत्साहित करेगा। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी, जल संरक्षण में मदद मिलेगी और जैविक कृषि को बढ़ावा मिलेगा। सरकार की यह पहल कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम साबित हो सकती है, जिससे किसानों का भविष्य और अधिक उज्ज्वल होगा।