धर्म की व्यापकता को पुर्णता समझें तभी धर्म व देश की रक्षा संभव : अनिल कौशिक हालुवासिया
विश्व बंधुत्व एवं वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत ही वास्तविक सनातन संस्कृति : अनिल कौशिक हालुवासिया
भिवानी, 27 नवंबर : देश व दुनिया में हिंदू धर्म व हिंदु देवी देवताओं, हिंदू धर्म गुरुओं के खिलाफ जारी मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर करते हुए प्रैस को जारी प्रैस विज्ञप्ति में हिंदुस्तान जनकल्याण आर्गेनाईजेशन के चेयरमैन अनिल कौशिक हालुवासिया ने कहा कि हिंदू संस्कृति विश्व में उदारवादी दृष्टिकोण के कारण आदर्श मानी जाती है। संस्कृति मनुष्य का वह गुण है, जिसमें वह अपनी आंतरिक उन्नति करता है। उन्होंने कहा कि जिस देश में धार्मिक एवं राष्ट्रवादियों की जनसंख्या कम हो जाती है, उस देश की सीमाएं असुरक्षित हो जाती है। मौजूदा दौर में भारत के कुछ राजनैतिक दल व कुछ दुसरे धर्म के लोग हिंदू धर्म व सनातन संस्कृति के खिलाफ षड्यंत्र का हिस्सा बने हुए है। ऐसे दौर में देश व दुनिया की रक्षा के लिए हर नागरिक को आगे आने की आवश्यकता है। हिंदुस्तान जनकल्याण आर्गेनईजेशन के चेयरमैन अनिल कौशिक हालुवासिया ने समस्त देशवासियों से आह्वान करते हुए कहा कि वे धार्मिक भेद त्यागकर मानवता व राष्ट्र को बचाने के लिए आगे आएं। उन्होंने बंगलादेश मे ही नहीं, बल्कि भारत में पल रहे षड्यंत्र को समझें और अब जो जातिवादी का जाति जनगणना के नाम पर जो नया नारा दिया गया है, उसका विरोध करें। हालुवासिया ने कहा कि धर्म संस्कृति नहीं तो सनातन धर्म नहीं भारतीय संस्कृति नहीं तो विश्व भी मिटने की कगार पर होगा। कौशिक ने जोर देते हुए कहा कि हम सभी को एक दूसरे के धर्म का आदर करना चाहिए ओर जो आज के दौर में इंसान के अंदर धर्म के नाम पर जो जड़ता प्रवेश कर गई है, उसे तुंरत प्रभाव से हमें छोडना होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्र तब तक पराजित नही होता, जब तक वह अपनी संस्कृति और मुल्यों की रक्षा कर पाता है। यदि हम जागरूक नही हुए तो ओर यदि हमने अपनी संस्कृति विरासत को छोडा़ तो हमारा पतन निश्चित है। आर्गेनाईेजशन के चेयरमैन अनिल कौशिक हालुवासिया ने कहा कि संयमी जीवन जीये, ग्रामीण क्रांति लाए, लघु उद्योगों, गौरक्षा, गौसेवा के महत्व को समझें, पर्यावरण रक्षा हेतु अधिक से से अधिक पौधें लगाए, नदियों को प्रदुषण से बचाए, अशिक्षित जनता को पढऩे में सहयोग दें, नारी शक्ति को मजबूत करने का प्रयास करें, बेटा बेटी में भेद ना करे, दहेज प्रथा का बहिष्कार करें, बच्चों के चरित्र निर्माण की युक्तियां खोजें, आयुर्वेद, योग, राष्ट्रभाषा की रक्षा करें, स्वावलंबन के लिए ग्रामीण उद्योगों नई कृषि तकनीक, गौपालन को बढ़ावा मिले, आत्म साधना पथ पर दृढ़ हो। उन्होंने कहा कि हमारे देश में हर धर्म के लोग प्रेम से रहें किसी के साथ पक्षपात न हो तभी राष्ट्र विश्व बंधुत्व तथा वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।