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देवउठनी एकादशी पर हनुमान जोहड़ी मंदिर में की गई ठाकुर जी की पूजा-अर्चना

फूल, फल, तुलसी के पत्ते, धूप, दीप, मिठाई, और प्रसाद चढ़ाकर की गई ठाकुर जी की विशेष आरती

भिवानी, 12 नवंबर : देवउठनी एकादशी के अवसर पर मंगलवार को स्थानीय हनुमान ढ़ाणी स्थित हनुमान जोहड़ी मंदिर धाम में ठाकुर जी की पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान कौशिक परिवार, जयपुर से विजय कुमार, ज्योति कौशिक व भव्या शर्मा, दिल्ली से अंजली, उर्वशी, कृतिका, करनाल से शीला, यशु, रामेश्वर, नजफगढ़ से संतोष, विद्या, भिवानी से डा. मनोज कुमार, सरिता कौशिक, अभिमन्यु, तेजस्विनी, अमित गोयल, सोनू कौशिक, सुवेश, विशेष, बहादुरगढ़ से रीना, नित्या, लुधियाना से रीतू कौशिक, तनिष्का, कानु ने ठाकुर जी को फूल, फल, तुलसी के पत्ते, धूप, दीप, मिठाई, और प्रसाद चढ़ाकर विशेष आरती की गई। जिन्हे गीता जी भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर मंदिर के महंत बालयोगी चरणदास महाराज ने कहा कि देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, जो कि हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को आती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योग-निद्रा से जागते हैं, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होता है। देवउठनी एकादशी के साथ ही विवाह, शुभ कार्य और धार्मिक अनुष्ठानों का पुन: आरंभ हो जाता है। चरणदास महाराज ने कहा कि इस दिन ठाकुर जी की पूजा का विशेष महत्व है। भक्त भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करके उनके जागरण का स्वागत करते हैं। विशेष रूप से तुलसी विवाह भी देवउठनी एकादशी पर ही संपन्न किया जाता है, जिसमें तुलसी माता का विवाह भगवान शालिग्राम से होता है। माना जाता है कि इस पूजा से घर में सुख, शांति, समृद्धि, और सौभाग्य आता है। उन्होंने कहा कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। धार्मिक दृष्टिकोण से देवउठनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है तथा जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

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